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9 महीने बाद अंतरिक्ष से लौट रहीं सुनीता विलियम्स ; धरती पर वापसी की उलटी गिनती शुरू

भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 9 महीने 13 दिन बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी पर लौट रहे हैं। उनके साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में मौजूद क्रू-9 के दो अन्य एस्ट्रोनॉट्स निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी वापसी की राह पर हैं।

कैसे होगी वापसी?

सोमवार सुबह 8:35 बजे, सभी एस्ट्रोनॉट्स स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में सवार हुए और 10:35 बजे यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से सफलतापूर्वक अलग हो गया। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो यह स्पेसक्राफ्ट 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर लैंड करेगा। इस सफर में कुल 17 घंटे लगेंगे।

लंबे समय तक क्यों फंसी रहीं सुनीता?

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को बोइंग और NASA के संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ के तहत 8 दिन के लिए स्पेस स्टेशन भेजा गया था। लेकिन तकनीकी खामियों के कारण उनका मिशन 9 महीने तक खिंच गया। बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट के 28 में से 5 रिएक्शन कंट्रोल थ्रस्टर फेल हो गए थे और 5 हीलियम लीक भी सामने आए।

इन खामियों के चलते नासा ने स्टारलाइनर को एस्ट्रोनॉट्स के लिए असुरक्षित मानते हुए इसे बिना इंसानों के वापस बुला लिया। इसके बाद स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को उनकी सुरक्षित वापसी के लिए तैनात किया गया।

क्या थी देरी की अन्य वजह?

स्पेसएक्स के पास सीमित संख्या में स्पेसक्राफ्ट हैं। क्रू-10 मिशन के लिए नया ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट तैयार नहीं था, जिससे सुनीता की वापसी में देरी हुई। हालांकि, मस्क ने दावा किया कि बाइडेन प्रशासन की पॉलिटिक्स ने भी इस प्रक्रिया को प्रभावित किया।

वापसी में क्या हो सकते हैं खतरे?

अंतरिक्ष से लौटना कभी भी आसान नहीं होता। सुनीता और उनके साथी एस्ट्रोनॉट्स की सुरक्षित वापसी के लिए तीन प्रमुख चुनौतियां होंगी:

  1. डीऑर्बिट बर्न: पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के लिए स्पेसक्राफ्ट को सही एंगल पर होना जरूरी है। जरा-सा एंगल गलत हुआ तो स्पेसक्राफ्ट जल सकता है।
  2. हीट शील्ड: वायुमंडल में प्रवेश के दौरान हीट शील्ड को 1650 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान झेलना होगा।
  3. पैराशूट: स्प्लैशडाउन से पहले पैराशूट को सही समय पर खुलना चाहिए ताकि लैंडिंग सुरक्षित हो सके।

अंतरिक्ष में हिम्मत और धैर्य की मिसाल

सुनीता विलियम्स की यह यात्रा सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि साहस और धैर्य का प्रतीक है। तकनीकी असफलताओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनौतियों का सामना किया।

यह घटना यह भी दर्शाती है कि अंतरिक्ष यात्रा अब केवल सपनों की बात नहीं, बल्कि लगातार विकसित हो रही तकनीक और मानव क्षमता का प्रमाण है। हालांकि, स्पेस मिशन में राजनीति का हस्तक्षेप होना चिंताजनक है। विज्ञान को स्वतंत्र रूप से काम करने देना ही मानवता के विकास के लिए बेहतर होगा।

सुनीता विलियम्स और उनके साथियों की सुरक्षित वापसी का इंतजार पूरी दुनिया कर रही है। उनकी यात्रा, जिज्ञासा और हिम्मत नई पीढ़ियों को अंतरिक्ष की असीमित संभावनाओं की ओर प्रेरित करेगी।