6 April 2022
पंजाब किंग्स के लिए चेन्नई के खिलाफ मैच में डेब्यू करने वाले वैभव अरोड़ा ने पहले ही मैच में 4 ओवर में 21 रन देकर 2 विकेट लिए और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वैभव का IPL तक पहुंचने का सफर बहुत कठिनाइयों से भरा रहा है।
कभी पंजाब से रणजी टीम में मौका नहीं मिलने पर उन्होंने क्रिकेट छोड़कर जॉब करने का मन बना लिया था। उनके कोच रवि वर्मा और पिता गोपाल कृष्ण ने दैनिक भास्कर से वैभव के संघर्ष की कहानी साझा की है।
आइए आपको बताते हैं कि उन्होंने क्या कहा…
रणजी में मौका मिलने पर घरवाले चाहते थे कि वैभव जॉब करें
कोच रवि वर्मा ने कहा कि 2017-18 में पंजाब रणजी टीम के लिए वैभव को मोहाली में चयनकर्ताओं ने बुलाया था। उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि वैभव को इस बार जरूर मौका मिलेगा पर ऐसा नहीं हुआ। उनका चयन टीम में नहीं हुआ। जिसके बाद वैभव के घरवाले चाहते थे कि वैभव क्रिकेट को अलविदा कहकर जॉब करें। वैभव भी घरवालों के दबाव में जॉब करने का मन बना चुके थे।
कोच ने आगे कहा, ‘मैंने वैभव के पिता से बात की और उन्हें समझाया कि उसे कुछ समय और दें। इसमें टैलेंट है, कहीं न कहीं से रणजी खेलने का मौका जरूर मिलेगा। मैंने वैभव को भी समझाया इतने साल की मेहनत को बर्बाद मत जाने दो। जब आपने 7-8 साल क्रिकेट को दिए हैं तो कुछ साल और दें और मेहनत करें।
हिमाचल से खेलने का किया फैसला
कोच वर्मा ने आगे कहा कि मैंने उन्हें हिमाचल में जाकर वहां से खेलने का सुझाव दिया। पहले वह सोलन गए पर वहां से उन्हें मौका नहीं मिला, उसके बाद कन्नौर गए वहां से भी उनको निराशा हाथ लगी। पहले मैच में उन्होंने अच्छी बॉलिंग की पर टीम की खराब फील्डिंग के कारण वे विकेट लेने में सफल नहीं हो पाए।
फिर से उन्होंने मुझसे कहा कि सर मैं क्रिकेट छोड़ देता हूं। मैंने कहा कि अभी खेलो, सफलता जरूर मिलेगी। कुछ दिन बाद उनका चयन हिमाचल की अंडर-23 टीम में हुआ। वे उस साल सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बाद में उन्हें हिमाचल से रणजी टीम में भी जगह मिली।
जिस टीम में थे नेटबॉलर, उसने 2 करोड़ में खरीदा
कोच वर्मा ने आगे कहा कि इस बार IPL की मेगा ऑक्शन में पंजाब किंग्स ने उन्हें 2 करोड़ रुपए की बोली लगाकर खरीदा। उनका बेस प्राइस 20 लाख रुपए था। इससे पहले भी वे 2020 में पंजाब किंग्स के साथ नेटबॉलर के रूप में जुड़े थे। 2019-20 में रणजी में शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें पंजाब किंग्स ने नेटबॉ
लर के तौर पर टीम में शामिल किया था।
2021 में उन्हें 20 लाख की बेस प्राइस पर कोलकाता नाइट राइडर्स ने खरीदा था पर KKR के लिए उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला।
14 साल की उम्र से कर रहे ट्रेनिंग
कोच वर्मा ने आगे कहा कि 14 साल की उम्र में वैभव मेरे पास आए थे और तब से मेरे पास ही क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहे हैं। मैं चंडीगढ़ डीएवी स्कूल में क्रिकेट कोच था।
तब वैभव ने क्रिकेट खेलने के लिए 9वीं क्लास में डीएवी में एडमिशन लिया था।
मैं जब डीएवी से जॉब छोड़कर रोपड़ गया तो वैभव सहित कुछ खिलाड़ी मेरे साथ वहां गए। उसके बाद मैंने मोहाली में अपनी एकेडमी खोली तो वैभव और उसके कुछ साथी उस एकेडमी में भी मेरे साथ जुड़ गए।
पापा चलाते हैं डेयरी
कोच ने बताया कि वैभव अंबाला के सदर चौक के पास स्थित पंजाबी कॉलोनी में रहते हैं। उनके पापा गोपाल कृष्ण की डेयरी है। वैभव दो भाई हैं। छोटा भाई भी मेरे पास ही क्रिकेट की ट्रेनिंग ले रहा है।
पिता बोले किस्मत को कुछ और मंजूर था
वैभव के पिता गोपाल कृष्ण ने भास्कर से कहा कि अगर मैं कोच रवि सर की बात नहीं मानता तो शायद वैभव क्रिकेटर नहीं बन पाते और उसका सपना अधूरा ही रहता। रणजी में मौका नहीं मिलने पर मैंने वैभव से कहा कि अब क्रिकेट छोड़ो और कहीं किसी कंपनी में जॉब कर लो, पर उनके कोच रवि वर्मा ने मुझसे बात की और मुझे भरोसा दिलाया कि वैभव जरूर आपका नाम रोशन करेगा। उन्हें जरूर मौका मिलेगा। अब मैं चाहता हूं कि वह देश के लिए खेले और मेरा नाम और रोशन करें।
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