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Thursday, November 21   8:08:03

दास्तान-ए -दत्त I सफ़लता से सजा की कहानी

आज की कहानी है एक ऐसे फिल्मी परिवार की,जिसमे संघर्ष,सफलता,स्टारडम,के साथ है, सजा का रूप भी। यह कहानी है, बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस और सुनील दत्त के परिवार की।

नरगिस की मां जद्दनबाई हुसैन से करते है ,आगाज़।जद्दनबाई ने मां दलीपाबाई से नृत्य संगीत में निपुणता हासिल की।लंबे समय तक अनेकों महफिलों में नृत्य,गान कर घर चलाया।जद्दनबाई ने श्रीमंत गणपतराव, उस्ताद मोइनुद्दीन, उस्ताद चंदू खान साहब, और उस्ताद लाल खान साहब से संगीत की तालीम ली थी ।उनकी महफिलों को मिली लोकप्रियता के चलते रजवाड़े और शासको के दरबार में अपनी कला प्रस्तुति के लिए आमंत्रण मिला करता था। बाद में उन्हें राजा गोपीचंद फिल्म में अभिनय का मौका मिला। इस मौके को उन्होंने सर आंखों पर उठाया। और प्रेम परीक्षा, सेवा सदन, जैसी फिल्मों में काम करने के बाद संगीत फिल्म नाम से अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू की। उन्होंने पहली शादी गुजराती उद्योगपति नरोत्तम दास खत्री उर्फ बचुभाई से की। इस शादी से उन्हें अख्तर हुसैन नामक बेटा हुआ। दूसरी शादी उन्होंने हारमोनियम मास्टर उस्ताद इरशाद आमिर खान से की जिनसे उन्हें पुत्र अनवर हुसैन की प्राप्ति हुई। तीसरी शादी उन्होंने श्रीमंत पंजाबी ब्राह्मण उत्तम चंद त्यागी से की।इस शादी से हुई बेटी फातिमा रशीद उर्फ नरगिस ने बॉलीवुड में एक अविस्मरणीय मकाम हासिल किया।उनका पिता द्वारा दिया गया हिन्दू नाम था, तेजेश्वरी मोहन।

चूंकि जद्दनबाई की अपनी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी थी, अतः उन्होंने 7 साल की नरगिस को अपनी फिल्म तलाशहक में इंट्रोड्यूस किया।मेहबूब खान की फिल्म तकदीर से फातिमा को नया नाम मिला नरगिस।छोटे बाल, ट्राउजर और स्विम सूट उनकी पहचान बन चुकी थी।

शोमैन राजकपूर के जिक्र के बिना नरगिस की बात ही बेमानी होगी।राजकपूर उनके प्यार में पागल थे।फिल्म बरसात में राजकपूर के एक हाथ में वायलिन और दूसरे हाथ में झूलती नरगिस वाला दृश्य आर. के. फिल्म्स का बैनर आइकन लोगो बन गया था। 1948 से 1965 तक बनी फिल्में आग से जागते रहो तक कुल 16 फिल्मों में दोनों ने साथ काम किया। लेकिन शादीशुदा राजकपूर परिवार छोड़कर उनसे शादी करने तैयार नही थे , अतः राज कपूर को बिना बताए उन्होंने महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया साइन कर ली। बॉलीवुड की यह फिल्म जहां एक बेहतरीन फिल्म कहीं जाती है, वही इस फिल्म ने नरगिस के जीवन को नया मोड़ दिया।

इस फिल्म के सेट पर उनकी जान बचाने वाले सुनील दत्त से उन्हें प्रेम हो गया, और आर्य समाज की विधि से उन्होंने उनसे शादी कर ली। नरगिस ने हिंदू धर्म अपना लिया ,और नया नाम मिला निर्मला दत्त।नरगिस पिछले जीवन को भूलकर सुनील दत्त मय हो गई थी। उनके जीवन में नम्रता, संजय, और प्रिया दत्त नाम के तीन बाल फूल खिले। 1980 में वे राज्यसभा के लिए नॉमिनेट हुई । इसके 1 साल बाद उनकी कैंसर होने के कारण मृत्यु हो गई। उनके अंतिम समय में सुनील दत्त उनके साथ रहे ।सुनील दत्त ने अपने जीवन काल में कैंसर के सामने लड़ाई लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।उन्होंने कैंसर हॉस्पिटल भी बनवाया।

बलराज यानि सुनील दत्त एक जमींदार के बेटे थे। 5 साल की उम्र में पिता की छत्रछाया खोई।18 वर्ष के होते-होते भारत पाकिस्तान के बंटवारे में पाकिस्तान स्थित खुर्द में रहते उनके परिवार ने जमीन जायदाद सब कुछ छोड़कर भारत में शरण ली। शरणार्थी कैंप में रहने को मजबूर इस परिवार ने काफी संघर्ष किया। बलराज ने 3 साल सख्त मेहनत कर पैसे एकत्र किए और परिवार को हरियाणा के मंडोली में स्थाई कर, खुद मुंबई का मार्ग लिया। उन्होंने जय हिंद कॉलेज में बैचलर ऑफ़ आर्ट्स में एडमिशन लिया।निजी खर्च चलाने के लिए उन्होंने बेस्ट बस डिपो में पार्ट टाइम नौकरी की। उनकी मेहनत के फल स्वरूप उन्हें रेडियो में जॉब मिली।रेडियो सीलोन के शो लिप्टन के सितारे में फिल्म स्टार्स से उनके द्वारा लिए गए साक्षात्कार प्रसारित हुए। एक बार वे दिलीप कुमार का इंटरव्यू लेने गए। बलराज की आवाज से प्रभावित डायरेक्टर रमेश सहगल ने उन्हें फिल्म में काम करने का ऑफर दिया, और उन्हें पहली फिल्म मिली, रेलवे प्लेटफार्म। बाद में मदर इंडिया फिल्म अपने आप में एक इतिहास है। नरगिस और सुनील दत्त की प्रेम कहानी का एक नया सफा।

उन्होंने अभिनय को ही अपना करियर बना लिया, और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अनेकों अवार्ड जीते,तो संघर्ष भी करना पड़ा। 1982 में वे मुंबई के शेरीफ चुने गए। 1999 से 2005 तक मुंबई नॉर्थ वेस्ट बैठक से वे सांसद रहे। मनमोहन सिंह सरकार में वे स्पोर्ट्स मिनिस्टर भी थे। वर्ष 2005 में हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ।
इस परिवार की तीसरी पीढ़ी,यानि संजय दत्त। यह बचपन से ही एक प्रोबलम चाइल्डथा। घर में जब पार्टी कुछ होता था तो वह गार्डन में सिगरेट फूका करते थे। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सलाह पर जब उन्हें हिमाचल प्रदेश में स्थित लॉरेंस स्कूल में भर्ती किया गया, तो यहां पर उन्हें बिलकुल अच्छा नहीं लगता था।संजय दत्त रोते हुए घर पर खत लिखा करते थे, लेकिन फिर भी 18 साल तक उन्होंने यहां पढ़ाई की। इस दौरान संजय दत्त ड्रग्स के आदी हो चुके थे। ड्रग्स की आदतों के चलते उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़ दी। पिता ने उन्हें नया मोड़ देने की कोशिश करते हुए फिल्म रॉकी प्रोड्यूस की इस फिल्म रिलीज के 3 दिन पहले ही नरगिस की मृत्यु हो गई। मां की मौत के वक्त संजय दत्त ड्रग के नशे में थे। फिल्म के प्रीमियर में भी वह नशे में थे। मुंबई में उस वक्त कोई रिहैब सेंटर न होने के कारण पिता ने उन्हें अमेरिका में ट्रीटमेंट के लिए भेजा, लेकिन ट्रीटमेंट का उन पर कोई असर नहीं हुआ। उनकी ड्रग्स की आदत के कारण उनका संबंध अपराधिक तत्वों से भी रहा। बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद संजू के घर से मिले हथियारों के जत्थे,और उस दौरान हुए मुंबई में बम ब्लास्ट में संजय दत्त को आतंकवादी धारा टाटा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया ।बाद में पुलिस द्वारा की गई तफ्तीश में कई सबूत मिले। और 5 साल की कैद हुई ।इसके अलावा भी अनेकों अपराधों में संजय दत्त का नाम उछला।

संजय दत्त के अनगिनत महिलाओं के साथ संबंध रहे। 1987 में उन्होंने अभिनेत्री रिचा शर्मा से अन्ततः शादी की। उनके घर बेटी त्रिशला का जन्म हुआ। रिचा शर्मा का 1996 में ब्रेन ट्यूमर के कारण निधन हो गया था। फिलहाल उनकी बेटी त्रिशला अपने नाना नानी के साथ अमेरिका में रहती है। उसके बाद उन्होंने एयर होस्टेस से मॉडल बनी रिया पिल्लई के साथ शादी की, लेकिन यह शादी कुछ सालों तक रही ।संजय दत्त ने तीसरी शादी मान्यता उर्फ दिल नवाज शेख के साथ की। इन दोनों के दो जुड़वा बच्चे इकरा और शाहरान है ।मान्यता की भी यह दूसरी शादी है, उसका पूर्व पति महराज शेख भी जेल की यात्रा कर चुका है ।
जवानी का समय चाहे कितना भी बुरा रहा हो, अनेकों समस्याओं और संघर्षों से घिरा हो, लेकिन आज संजय दत्त एक बेहतरीन अभिनय करने वाले माता-पिता सुनील दत्त और नरगिस कि कला को चार चांद लगा रहे हैं।
संजय दत्त की बहनों की बात करें तो उनकी बहन नम्रता ने जुबिली कुमार कहे जाते राजेंद्र कुमार के बेटे कुमार गौरव से शादी की। दूसरी बहन प्रिया ने फिल्म और इवेंट मैनेजमेंट का काम करते ओवेन रोनकोन कौन के साथ शादी की। नम्रता की दो बेटियां है तो प्रिया के दो बेटे हैं।
तो ये थी दत्त परिवार की संघर्ष,सफ़लता,स्टारडम से लेकर संजय दत्त की बदनाम जवानी और सजा की कहानी।