समाजवादी पार्टी के सांसद ने संसद में लगे सेंगोल को हटाने की मांग की है।
सन 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो सत्ता हस्तांतरण के प्रति के तौर पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यह चांदी का स्वर्ण मंडित सेंगोल दिया गया था। इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में इसे रखा गया था।दिल्ली में जब नया संसद भवन बना तो 28 मई को उद्घाटन समारोह के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस राजदंड को पूरे धार्मिक विधि विधान से नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया था।
अब इस सेंगोल को लेकर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के सांसद आर. के. चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर मांग की है कि राजतंत्र के प्रतीक सेंगोल को हटाकर लोकतंत्र के प्रतीक भारतीय संविधान की विशालकाय प्रति उस जगह पर रखी जाए।हमारा संविधान भारतीय लोकतंत्र का पवित्र ग्रंथ है।जबकि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है।संसद लोकतंत्र का मंदिर है,किसी राजा या राजघराने का प्रतीक नहीं है।
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