देश के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को पूरी दुनिया मिसाइल मैन के नाम से जानती है। आज हम आपको इस लेख में डॉ. कलाम की कुछ अनकहीं बतों के बारे में बताने जा रहे हैं। यू तो उनके बारे में बहुत कुछ कहा गया, काफी कुछ लिखा भी गया। लेकिन, आज हम उनके बारे में और भी चीजे जानने जा रहे हैं जो बहुत ही कम लोगों को पता होंगी।
दुरदर्शन के तमिल भाषी क्षेत्रीय चैनल डीडी पोडिगई पर पीएम नायर के साथ एक साक्षात्कार प्रसारित किया गया। आपको बता दें कि पी एम नायर सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं जो डॉ. अब्दुल कलाम सर के सचिव थे, जब वे राष्ट्रपति थे। इसके अलावा नायर “कलाम असर” नामक पुस्तक के लेखक भी हैं। इंटरव्यू के दौरान नायर ने पूर्व राष्ट्रपति कलाम के कुछ अनछुए पहलूओं का चित्रण बखूबी किया है।
डॉ कलाम जब भी विदेश जाते थे तो उन्हें महंगे उपहार मिलते थे, जैसा कि कई देशों में दौरे पर आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को उपहार देने की प्रथा है। उपहार को अस्वीकार करना राष्ट्र का अपमान और भारत के लिए शर्मिंदगी होगी। इसलिए वे इन उपहारों को बिन चाहे ले लेते थे, लेकिन जब वे विदेश दौरे से लौटते थे, तो उन उपहारों को अभिलेखागार में रखने और उनकी तस्वीरें लेने का निर्देश दिया जाता था। पूर्व राष्ट्रपति कभी इन उपहारों को मुड़कर भी नहीं देखा। राष्ट्रपति भवन से निकलते समय उन्होंने मिले उपहारों में से एक पेंसिल भी नहीं ली।
साल 2002 में डॉ. कलाम ने कार्यभार संभाला था तब रमज़ान का महीना जुलाई-अगस्त में था। तब राष्ट्रपति के लिए इफ्तार पार्टी की मेजबानी करना एक नियमित अभ्यास था।
उसी अनुसार पार्टी का आयोजन करते समय, डॉ. कलाम ने उनके सचिव नायर से पूछा कि वे इफ्तार पार्टी का आयोजन क्यों करेंगे? जो मेहमान इस पार्टी में आएंगे, वे अमीर है, हमेशा अच्छा खाना खाने के आदी हैं। राष्ट्रपति जानना चाहते थे, इफ्तार पार्टी आयोजित करने में कितना खर्च होता है? तब कहा गया था, लगभग 22 लाख रुपये। डॉ. कलाम ने आदेश दिया कि इस पैसे से भोजन, कपड़े और कंबल खरीदे और इसे जरूरतमंदो और अनाथालयों को दान करें। राष्ट्रपति भवन के अधिकारियों की एक टीम तब विशिष्ट अनाथालय का चयन करने के लिए बनाई गई थी।
चयन हो जाने के बाद डॉ. कलाम ने नायर को अपने कमरे में आने को कहा और उन्हें 1 लाख का चेक दिया।
उन्होंने कहा कि वह अपनी निजी बचत से कुछ रकम दे रहे हैं और इसके बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
इस बात पर नायर हैरान रह गए। उन्होंने कहा, “सर, मैं बाहर जाऊंगा और सबको बताऊंगा। लोगों को पता होना चाहिए कि यहां एक आदमी है जिसने न केवल वह दान किया है जो खर्च किया जाना चाहिए, वहीं पैसे दे रहा है। हालाकि डॉ कलाम एक कट्टर मुस्लिम थे, लेकिन उनके राष्ट्रपति रहने के दौरान कोई भी इफ्तारी पार्टियां नहीं कीं।
डॉ. कलाम को “यस सर” टाइप के लोग पसंद नहीं थे। एक बार की बात है भारत के मुख्य न्यायाधीश आए हुए थे। उसी वक्त डॉ. कलाम ने अपनी राय व्यक्त की और नायर से पूछा, “क्या आप सहमत हैं?” तब नायर ने कहा “नहीं सर, मैं आपसे सहमत नहीं हूँ” मुख्य न्यायाधीश हैरान रह गए और उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। एक सिविल सेवक के लिए राष्ट्रपति से असहमत होना असंभव था और वह भी खुले आम। नायर ने उनसे कहा कि राष्ट्रपति उनसे बाद में पूछेंगे कि वे असहमत क्यों हैं और यदि कारण तर्कसंगत होगा तो वह 99% अपना विचार बदल देंगे।
पीएम नायर ने इंटरव्यू में पूर्व राष्ट्रपति कलाम के कई अनछुए पहलुओं का उजागर किया है। उन्होंने बताया कि एक बार की बात है डॉ. कलाम ने अपने 50 रिश्तेदारों को दिल्ली आने का निमंत्रण दिया और वे सभी राष्ट्रपति भवन में रुके। उन्होंने उनके लिए शहर घूमने के लिए एक बस की व्यवस्था की जिसका भुगतान उन्होंने ही किया। उन्होंने कभी किसी सरकारी गाड़ी का प्रयोग नहीं किया। उनके सभी निवेश और भोजन की गणना डॉ. कलाम ने जैसा निर्देश दिया था वैसा ही किया और उनका बिल 2 लाख रुपये आया। इस देश के इतिहास में किसी ने ऐसा नहीं किया।
अब क्लाइमेक्स का इंतजार करें, डॉ. कलाम के बड़े भाई पूरे एक हफ्ते तक उनके साथ रहे, क्योंकि डॉ. कलाम चाहते थे कि उनका भाई उनके साथ रहें। जब वे चले गए तो डॉ. कलाम ने उस कमरे का किराया भी देना चाहते थे। कल्पना कीजिए कि किसी देश का राष्ट्रपति उस कमरे का किराया चुका रहा है जिसमें वह रहता है।
जब डॉ. कलाम सर अपने कार्यकाल के अंत में राष्ट्रपति भवन छोड़ने वाले थे, तो स्टाफ का हर सदस्य उनके पास गया और उनसे मुलाकात की और उनका बहुत सम्मान किया।
एक बार की बात है नायर अकेले ही उनके पास गए थे क्योंकि उनकी पत्नी के पैर में फ्रैक्चर हो गया था और वह बिस्तर पर थीं। तब डॉ. कलाम ने पूछते हैं कि उनकी पत्नी क्यों नहीं आईं। उन्होंने जवाब दिया कि वह एक दुर्घटना के कारण बिस्तर पर थी।
अगले दिन नायर ने अपने घर के आसपास बहुत सारे पुलिसकर्मियों को देखा और पूछा कि क्या हुआ था।
उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति उनसे मिलने उनके घर आ रहे हैं। वह आकर अपनी पत्नी से मिले और बातचीत की।
श्री नायर का कहना है कि किसी भी देश का कोई भी राष्ट्रपति किसी सिविल सर्वेंट के घर नहीं जाता और वह भी ऐसे किसी साधारण कारण से। मुझे लगा कि मुझे यह बताना चाहिए क्योंकि आप में से कई लोगों ने प्रसारण नहीं देखा होगा और इसलिए यह उपयोगी हो सकता है।
एपीजे के छोटे भाई अब्दुल कलाम छाते की मरम्मत की दुकान चलाते हैं। जब श्री नायर कलाम से उनके अंतिम संस्कार के दौरान मिले, तो उन्होंने श्री नायर और भाई दोनों के सम्मान में उनके पैर छुए। ऐसी जानकारी को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जाना चाहिए क्योंकि मुख्यधारा का मीडिया इसे नहीं दिखाएगा, क्योंकि उसके पास तथाकथित जीबी टीआरपी नहीं है।
डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम अपने पीछे बेशकीमती संपत्ति छोड़ गए, आइये उसका एक अनुमान लगाते है:-
6 पैंट (2 डीआरडीओ वर्दी)
4 शर्ट (2 डीआरडीओ वर्दी)
3 सूट (1 पश्चिमी, 2 भारतीय)
2500 किताबें
1 फ्लैट (जो उन्होंने दान किया है)
1 पद्मश्री
1 पद्म भूषण
1 भारत रत्न
16 डॉक्टरेट
1 वेबसाइट
1 ट्विटर अकाउंट
1 ईमेल आईडी
उनके पास कोई टीवी, एसी, कार, आभूषण, शेयर, जमीन या बैंक बैलेंस नहीं था। उन्होंने अपने गांव के विकास के लिए अपनी आखिरी 8 साल की पेंशन भी दान कर दी। वे एक सच्चे देशभक्त और सच्चे भारतीय थे। नायर ने अंत में कहा कि भारत आपका सदैव आभारी रहेगा सर।
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