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Monday, April 21   12:23:00

जम्मू-कश्मीर में आसमानी आफ़त: रामबन में बादल फटने से तबाही, कई गांव मलबे में समाए

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के सेरी बगना इलाके में रविवार की सुबह ऐसा कहर बरपा, जिसने जीवन की रफ्तार ही रोक दी। लगातार हो रही बारिश के बीच अचानक बादल फट गया। देखते ही देखते चट्टानें, मिट्टी और पानी का सैलाब गांव की ओर बहने लगा, और 3 लोगों की जान चली गई, कई घर, गाड़ियां, होटल और यहां तक कि एक सरकारी स्कूल भी मलबे में समा गए।

यह सिर्फ एक आपदा नहीं, बल्कि उस उपेक्षा की परिणति है जिसे हम पहाड़ी क्षेत्रों में सालों से नज़रअंदाज़ करते आ रहे हैं।

जब पहाड़ फटे और गांव बह गए…

बादल फटने से उपजे फ्लैश फ्लड ने सिर्फ बहाव नहीं लाया, बल्कि लोगों की पूरी ज़िंदगी उजाड़ दी। तेज़ बहाव में कई टैंकर, छोटी-बड़ी गाड़ियां बह गईं।
मलबा इतना ताकतवर था कि भारत पेट्रोलियम का ट्रक तक उसकी चपेट में आ गया।

रामबन का एक सरकारी स्कूल पूरी तरह दब गया।
पुलिस चौकी तक तबाह हो गई।

यह किसी एक गांव की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की त्रासदी है।

जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद, सैकड़ों वाहन फंसे

रामबन और बनिहाल में भारी भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे अस्थायी रूप से पूरी तरह बंद कर दिया गया है।
हज़ारों लोगों का संपर्क बाहरी दुनिया से कट चुका है।
किश्तवाड़-पद्दर मार्ग भी अवरुद्ध है।

प्रशासन ने साफ तौर पर जनता से अपील की है कि मौसम सामान्य होने तक यात्रा से बचें।

कैमरे में कैद हुई तबाही: वायरल हुए भयानक दृश्य

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है:

  • पहाड़ों से मलबा गिरता हुआ

  • टैंकर और गाड़ियां दबी हुई

  • रिहायशी इलाकों में पानी और कीचड़ का सैलाब

  • गांवों में तबाही के बाद पसरा सन्नाटा

इन दृश्यों को देखकर कोई भी सिहर उठेगा। यह केवल एक रिपोर्ट नहीं, एक चीखती हुई सच्चाई है।

धर्मकुंड में ‘ज़िंदगी’ निकालने की जद्दोजहद

रामबन जिले का धर्मकुंड गांव, जो चेनाब नदी के किनारे बसा है, लैंडस्लाइड की चपेट में आ गया।
यहां 10 घर पूरी तरह बर्बाद हो गए, जबकि 25 से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा है।

पुलिस और बचाव दल ने करीब 90-100 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन बहुत से लोग अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका है।

उधमपुर में तूफान ने गिरा दिए पेड़, ठप हुई बिजली

उधमपुर जिले की सतैनी पंचायत में तेज हवाओं और बारिश ने हाहाकार मचा दिया।
कई पेड़ उखड़ गए और बिजली की लाइनें टूट गईं।
पूर्व सरपंच पर्शोत्तम गुप्ता के मुताबिक, “ऐसी तेज़ हवाएं हमने पिछले 4-5 सालों में कभी नहीं देखीं।”

राजनीतिक प्रतिक्रिया: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की नजर

केंद्रीय मंत्री और उधमपुर के सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर बताया कि:

“रामबन और आसपास के क्षेत्रों में ओलावृष्टि, तेज हवाएं और भूस्खलन की स्थिति गंभीर है। नेशनल हाईवे बंद है। मैं जिला प्रशासन से लगातार संपर्क में हूं। हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।”

प्रकृति चेतावनी दे रही है, क्या हम सुन रहे हैं?

यह कोई पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में इस प्रकार का संकट आया हो, लेकिन हर बार यही लगता है कि हमने इससे कोई सबक नहीं सीखा।

  • बेतरतीब निर्माण,

  • अत्यधिक वनों की कटाई,

  • और जलवायु परिवर्तन की अनदेखी

— ये सभी ऐसी त्रासदियों की पृष्ठभूमि तैयार करते हैं।

आज रामबन में मलबे में जो घर दबे हैं, वो सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं थे, वो सपने थे, जीवन की कहानियाँ थीं।

हमें यह समझना होगा कि प्राकृतिक आपदाएं अब अनहोनी नहीं रहीं — वे अब नई सामान्य (New Normal) हैं।

  • सरकार को चाहिए कि आपदा प्रबंधन तंत्र को और सशक्त बनाए।

  • पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण के लिए नई गाइडलाइंस लागू हों।

  • स्थानीय लोगों को आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।

  • जलवायु परिवर्तन के खतरे को स्थानीय नीति में शामिल किया जाए।

रामबन में जो हुआ, वह सिर्फ एक समाचार नहीं, एक चेतावनी है — कि प्रकृति हमें बार-बार बता रही है:
“या तो मेरे साथ चलो, या मुझमें समा जाओ।”