मध्य गुजरात का सबसे बड़ा सयाजी अस्पताल अपनी असुविधाओं के कारण बार-बार सुर्खियों में बना रहता है। गांधीनगर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार चेकिंग और निरीक्षण के बावजूद अस्पताल के प्रबंधन में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। इस दौरान, साफ-सफाई की जिम्मेदारी में घोर लापरवाही सामने आई है, जहां सेनेटरी इंस्पेक्टर केवल सड़क और रास्तों की सफाई का फोटो अधिकारियों को भेजकर संतुष्ट हो जाते हैं, लेकिन वार्डों में मौजूद गंदगी की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।
हाल ही में, सबसे गंभीर स्थिति सामने आई जब पिछले एक हफ्ते से सर्जिकल बिल्डिंग के डी-1 वार्ड में महिला शौचालय बंद हो गया। इसके कारण महिला मरीजों को पुरुष शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह स्थिति अस्पताल की बदहाली को दर्शाती है, जहां मरीजों को ठीक होने के लिए नहीं, बल्कि अस्पताल की गंदगी और असुविधाओं से जूझने के लिए आना पड़ रहा है।
सयाजी अस्पताल न केवल शहर और जिले से, बल्कि राज्य और बाहर के मरीजों के लिए भी एक प्रमुख इलाज केंद्र है। लेकिन हालात इतने बुरे हैं कि बाहर से आने वाले मरीज और उनके परिवार को पूरी तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीजों को इलाज के लिए सैकड़ों किलोमीटर यात्रा करनी पड़ती है, और जब वे अस्पताल पहुंचते हैं, तो उन्हें अस्वच्छ वार्डों और गंदे शौचालयों से जूझना पड़ता है।
इस बार, डी-1 वार्ड में गंदगी का स्तर इतना खराब था कि कचरे के ढेर और शौचालय से बाहर निकलने वाला पानी मच्छरों का कारण बन रहा था। इसके अलावा, नियमित सफाई की कमी से मरीजों और उनके परिजनों को असहनीय स्थिति का सामना करना पड़ा। अस्पताल की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है, जहां केवल रोड और बाहरी रास्तों की सफाई दिखाई देती है, लेकिन भीतर की गंदगी और अस्वच्छता पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
गंभीर बात यह है कि सरकार ने दूर-दराज के क्षेत्रों में शौचालय बनाने के लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है, लेकिन राज्य की सबसे बड़ी अस्पताल में महिला शौचालय की बंदी की स्थिति बेहद शर्मनाक है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या स्वास्थ्य सुविधाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई हैं?
इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रंजन अय्यर ने कहा कि गटर की लाइनें चोक होने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। उन्होंने बताया कि पीआईयू (पीडब्ल्यूडी) को सूचित किया गया है और जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
सयाजी अस्पताल की स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवा के मानकों को शर्मसार करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अस्पताल प्रशासन में गंभीर लापरवाही है। मरीजों को इलाज के लिए आना चाहिए, न कि गंदगी और असुविधाओं से जूझने के लिए। सफाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। अस्पताल के प्रशासन और सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
यह स्थिति सत्ताधीशों के लिए भी एक बड़ा सवाल है—क्या यह उनके द्वारा दिए गए निर्देशों और सुविधाओं के स्तर का नतीजा है? समय आ गया है कि अस्पताल प्रशासन की ओर से सही कदम उठाए जाएं ताकि मरीजों को राहत मिल सके और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में आकर असुविधाओं का सामना न करना पड़े।
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