कर्नाटक के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) ओम प्रकाश की चौंकाने वाली हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। एक ऐसे अधिकारी की दुखद अंत की कहानी सामने आई है, जिसने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा कानून और व्यवस्था बनाए रखने में लगा दिया, लेकिन खुद अपने ही घर में, अपनों के बीच असुरक्षित हो गया।
रविवार तड़के बेंगलुरु स्थित उनके आवास से आई खबर ने पुलिस महकमे से लेकर पूरे समाज को स्तब्ध कर दिया। ओम प्रकाश की लाश उनके घर में मिली, जिस पर चाकू और कांच की बोतल से किए गए हमले के कई घाव थे। शुरुआती जांच और सूत्रों के हवाले से जो कहानी सामने आई है, वो एक घरेलू कलह, मानसिक बीमारी और गहरी पारिवारिक दरार की दर्दनाक तस्वीर पेश करती है।
क्या हुआ था उस दिन? – मिर्च पाउडर से शुरू हुई हत्या की पटकथा
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार दोपहर ओम प्रकाश और उनकी पत्नी पल्लवी के बीच किसी बात को लेकर तीखी बहस हुई। बहस इस कदर बढ़ गई कि पल्लवी ने पति की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया, उन्हें बांधा और फिर चाकू से हमला कर उनकी जान ले ली। कांच की बोतल से भी हमला किया गया।
पुलिस जब घटनास्थल पर पहुंची, तो ओम प्रकाश के शरीर, पेट और सीने पर कई गहरे घाव थे। हत्या के बाद पल्लवी ने खुद एक पुलिस अधिकारी की पत्नी को कॉल कर हत्या की जानकारी दी, जिससे यह मामला उजागर हुआ।
बेटे का बयान: “मां पिछले 12 साल से मानसिक रोगी हैं”
दिवंगत अधिकारी के बेटे कार्तिकेश ने एक टीवी चैनल को बताया, “मेरी मां को पिछले 12 साल से सिजोफ्रेनिया है। उनका इलाज चल रहा है। कई बार वो खुद को खतरे में महसूस करती थीं, कई बार पिता पर शक करती थीं। उन्हें लगता था कि कोई उन्हें मारना चाहता है।”
पल्लवी ने अपने परिजनों से भी यह बात साझा की थी कि उनके पति घर में अक्सर बंदूक लेकर घूमते हैं और वह खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं।
लेकिन, सवाल यह है कि क्या इस मानसिक स्थिति का फायदा उठाकर कोई उन्हें हत्या के लिए उकसा रहा था या फिर सच में बीमारी ने उन्हें इस हद तक धकेल दिया?
पारिवारिक विवाद की पृष्ठभूमि: जायदाद बना जंग का मैदान?
सूत्रों के अनुसार, ओम प्रकाश और पल्लवी के बीच लंबे समय से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। खबर यह भी है कि ओम प्रकाश ने अपनी संपत्ति किसी रिश्तेदार के नाम ट्रांसफर कर दी थी, जिससे पल्लवी नाराज़ थीं। झगड़े अकसर तीखे बहस और हाथापाई तक पहुंच जाते थे।
इस केस में बेटे की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और पत्नी पल्लवी से 12 घंटे की लंबी पूछताछ की गई। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या बेटी की इस हत्याकांड में कोई भूमिका है या नहीं।
गृह मंत्री का बयान: “सच्चाई सामने आनी चाहिए”
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। ओम प्रकाश एक सुलझे हुए, अनुशासित और निष्ठावान अफसर थे। शुरुआती जांच में उनकी पत्नी का नाम सामने आया है, लेकिन पूरी जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।”
उन्होंने बताया कि जब वे 2015 में गृह मंत्री थे, तब ओम प्रकाश उनके साथ काम कर चुके हैं और उन्हें जानने वालों के लिए यह खबर अत्यंत दुखद है।
ओम प्रकाश: एक कर्मठ अफसर की दुखद विदाई
बिहार के मूल निवासी ओम प्रकाश 1981 बैच के IPS अधिकारी थे। उन्होंने करियर की शुरुआत बेल्लारी जिले के हरपनहल्ली में एडिशनल एसपी के रूप में की थी। वह लोकायुक्त, अग्निशमन और आपात सेवा विभाग तथा CID में DIG जैसे अहम पदों पर रहे। मार्च 2015 में उन्हें कर्नाटक राज्य का DGP और IGP नियुक्त किया गया था और 2017 में सेवानिवृत्त हुए।
एक वर्दीधारी का अंत इतना असहाय क्यों?
यह घटना केवल एक मर्डर मिस्ट्री नहीं है, यह एक चेतावनी है कि कैसे मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक कलह मिलकर एक व्यक्ति के जीवन को खत्म कर सकते हैं, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
एक तरफ सिजोफ्रेनिया से जूझती पत्नी, दूसरी तरफ संपत्ति को लेकर पारिवारिक तनाव और अंततः एक ऐसे अधिकारी की मौत जो कभी राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाता था—इन सबके बीच कहीं न कहीं हमारा सामाजिक ढांचा भी सवालों के घेरे में है।
क्या पल्लवी को पहले से बेहतर देखरेख की जरूरत नहीं थी?
क्या परिवार ने इस बीमारी को गंभीरता से लिया?
और क्या ओम प्रकाश, जो कानून के इतने जानकार थे, खतरे के संकेतों को नजरअंदाज कर बैठे?
ये सवाल अब भी हवा में हैं। शायद आने वाली जांच इनमें कुछ जवाब लेकर आए।

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