म्यांमार में बीते दो दिनों में लगातार तीन बड़े भूकंप आए, जिनमें से शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, इस भूकंप की ऊर्जा 334 एटॉमिक बम के विस्फोट के बराबर थी।
भूकंप का प्रभाव: जानमाल का नुकसान
अब तक 1644 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 3408 से अधिक लोग घायल हुए हैं। 139 लोग अब भी लापता हैं। म्यांमार के मांडले, नेपीदा और सागाइंग जैसे शहरों में इमारतें जमींदोज हो गईं। वहीं, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी 30 मंजिला इमारत गिरने से 12 लोगों की जान चली गई।
संयुक्त राष्ट्र ने भूकंप राहत प्रयासों के लिए म्यांमार को 5 मिलियन डॉलर (लगभग 43 करोड़ रुपए) की सहायता दी है। इसके अतिरिक्त, रूस, चीन, सिंगापुर और मलेशिया ने भी बचाव दल भेजे हैं।
भारत का सहयोग: ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत राहत
भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार को तीन खेपों में 40 टन राहत सामग्री भेजी। इसमें टेंट, कंबल, सोलर लैंप, जनरेटर, और दवाएं शामिल थीं। इसके अलावा, आगरा से 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट भी मांडले पहुंची।
सागाइंग फॉल्ट: भूकंप का प्रमुख कारण
भूकंप का मुख्य कारण म्यांमार की सागाइंग फॉल्ट लाइन को बताया जा रहा है, जो 1200 किमी तक फैली है। यह एक ‘स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट’ है, जिसमें दोनों ओर की चट्टानें क्षैतिज रूप से खिसकती हैं। भारतीय प्लेट के उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने से इस फॉल्ट पर भारी दबाव पड़ता है, जिससे भूकंप आते हैं। इससे पहले 2012 में भी इसी फॉल्ट पर 6.8 तीव्रता का भूकंप आया था।
राहत कार्यों में बाधाएं
म्यांमार में भीड़भाड़ और सड़कों पर भारी ट्रैफिक के कारण राहत कार्यों में बाधा आ रही है। मेडिकल उपकरणों और दवाओं की आपूर्ति में देरी हो रही है। नेपीदा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कंट्रोल टावर भी भूकंप में ध्वस्त हो गया, जिससे एयर ट्रैफिक संचालन प्रभावित हुआ।
प्राकृतिक आपदाएं हमें बार-बार यह अहसास कराती हैं कि आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक विकास के बावजूद हम प्रकृति की ताकत के सामने कितने असहाय हैं। इस त्रासदी के बाद म्यांमार में इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, सागाइंग फॉल्ट जैसे भूकंपीय क्षेत्रों में भवन निर्माण के लिए सख्त भूकंप-रोधी मानकों का पालन किया जाना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग इस आपदा में म्यांमार के लोगों के लिए राहत पहुंचा सकता है। भारत की ओर से किया गया त्वरित सहायता अभियान न केवल मानवीय संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय एकजुटता का भी प्रतीक है।
इस त्रासदी में जान गंवाने वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए, हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव और राहत की बेहतर तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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