भारत की धरा पर जब-जब संकट आया है, तब-तब यहां की परंपरा, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम ने एक नई चेतना को जन्म दिया है। ताज़ा उदाहरण है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की नई मुहिम, जिसमें उन्होंने एक विशेष “ध्वज यात्रा” की शुरुआत की है जो हिमाचल से लेकर केरल तक जाएगी।
इस यात्रा की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसमें भारत के ऐतिहासिक योद्धाओं – राणा सांगा और छत्रपति शिवाजी महाराज – को प्रतीक रूप में शामिल किया गया है। भगवा ध्वज के साथ यह यात्रा चीन को एक सांस्कृतिक और वैचारिक संदेश देने की कोशिश है: भारत अब सिर्फ सीमाओं पर नहीं, विचारों और परंपराओं के मोर्चे पर भी खड़ा है।
क्या है इस अभियान का उद्देश्य?
RSS का मानना है कि सिर्फ हथियारों से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना से भी दुश्मनों को जवाब दिया जा सकता है। शिवाजी महाराज और राणा सांगा जैसे योद्धा सिर्फ तलवार के धनी नहीं थे, वे राष्ट्र चेतना के प्रतीक थे। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के युवाओं में वही चेतना जागृत करना है।
केरल तक की यात्रा का मतलब?
हिमाचल से केरल तक की यह यात्रा उत्तर से दक्षिण तक भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। ये केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि “भारत को भारत के रंग में रंगने की कवायद” है।
क्या चीन तक पहुंचेगा यह संदेश?
सीधे नहीं, लेकिन सांस्कृतिक शक्ति एक ऐसा माध्यम है जो सीमाओं को लांघ सकती है। जब भारत का युवा शिवाजी की तरह साहसी और राणा सांगा की तरह निडर बन जाएगा, तब दुनिया खुद ही यह संदेश समझ जाएगी।
जहाँ एक ओर राजनीतिक दुनिया अपने-अपने समीकरणों में उलझी रहती है, वहीं ऐसी यात्राएं भारत को उसकी जड़ों से जोड़ती हैं। RSS की यह पहल चाहे विवादों में रहे या प्रशंसा में, पर एक बात तय है इसने भारतीय चेतना को एक नई ऊर्जा दी है।

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