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Saturday, April 19   1:49:12

एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष के बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा, कुणाल कामरा के शो में तोड़फोड़ और FIR दर्ज

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी की। इस वीडियो में कामरा ने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने का संशोधित संस्करण प्रस्तुत किया, जो शिंदे पर कटाक्ष था। इस प्रस्तुति के बाद शिंदे समर्थक शिवसैनिकों में आक्रोश फैल गया।

शिवसैनिकों की प्रतिक्रिया और तोड़फोड़:

कामरा के इस वीडियो से नाराज होकर शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के खार इलाके में स्थित ‘द यूनिकॉन्टिनेंटल’ होटल में तोड़फोड़ की, जहां कामरा का शो आयोजित किया गया था। तोड़फोड़ के दौरान स्टूडियो की कुर्सियाँ, लाइटें, शीशे और दरवाजे क्षतिग्रस्त कर दिए गए। इस घटना के बाद खार पुलिस ने शिवसेना युवा सेना (शिंदे गुट) के महासचिव राहुल कनाल और अन्य 19 कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की।

शिवसेना नेताओं की चेतावनी:

शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कामरा पर आरोप लगाया कि उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से पैसे लेकर एकनाथ शिंदे को निशाना बनाया है। उन्होंने कामरा को चेतावनी देते हुए कहा कि शिवसैनिक उन्हें महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में स्वतंत्र रूप से घूमने नहीं देंगे, और उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ेगा।

कुणाल कामरा की प्रतिक्रिया:

विवाद के बाद, कुणाल कामरा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर संविधान की एक प्रति पकड़े हुए अपनी तस्वीर साझा की और लिखा, “आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता।” यह इशारा संभवतः अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक मूल्यों की ओर था।

विपक्ष की प्रतिक्रिया:

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कामरा के वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शिवसेना (शिंदे गुट) की प्रतिक्रिया की आलोचना की। उन्होंने कहा कि केवल एक असुरक्षित व्यक्ति ही किसी गाने पर इस तरह की प्रतिक्रिया दे सकता है और राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए।

कुणाल कामरा के व्यंग्यात्मक प्रदर्शन के बाद उत्पन्न यह विवाद महाराष्ट्र की वर्तमान राजनीतिक संवेदनशीलता को उजागर करता है। यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, राजनीतिक सहिष्णुता और कानून व्यवस्था के बीच संतुलन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।