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sharda sinha death

Sharda Sinha: लोक संगीत की मर्मस्पर्शी आवाज़, जिसने प्रेम और विरह को कर दिया अमर

Sharda Sinha: जैसे पाकिस्तान की लोक गायिका “रेशमा” ने भारतीय हिंदी फिल्म, जैकी श्रॉफ और मीनाक्षी शेषाद्रि अभिनीत “हीरो” में गाना गाया था “लंबी जुदाई…” जो आज तक लोगों के दिलों में छाया हुआ है ! महानता सिर्फ एक गाने से सालों तक टिकती है ! वैसे ही सलमान खान और भाग्यश्री की सुपर-डुपर हिट फिल्म “मैने प्यार किया” का एक गाना भारतीय लोक गायिका श्री शारदा सिन्हा ने गाया था ! दोनों गाने इतने मशहूर हुए, दोनों गाने लव-स्टोरीस के थेवह गाने आज के युवाओं को शायद ही आकर्षित कर पाए !

भारतीय लोक संगीत की महान गायिका, शारदा सिन्हा, अब हमारे बीच नहीं रहीं। उनके द्वारा गाए गए चंद फिल्मी गाने और अनेक लोकगीत आज भी हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, जो सुनने वालों के दिलों में गूंजते हैं। उनकी आवाज़ में वह जादू था, जो प्रेम और विरह की भावनाओं को गहराई से महसूस कराता था।

“मैंने प्यार किया” का अमर गीत

जब सलमान खान और भाग्यश्री की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया ‘ में शारदा सिन्हा का गाया हुआ गाना “कहें तोसे सजना मैं तोहरी सजनिया” सुनाई दिया, तो उस गीत ने लाखों दिलों को छू लिया। यह गाना न केवल प्रेमियों के बीच प्रेम का संदेश बन गया, बल्कि उस दौर की सच्ची प्रेम कहानियों का प्रतीक भी बन गया। उनकी आवाज़ ने हर किसी के दिल में गहरी छाप छोड़ी, जो आज भी उसी भावुकता के साथ याद किया जाता है।

छठ महापर्व की आत्मा

शारदा सिन्हा केवल फिल्मों तक सीमित नहीं रहीं। वे छठ महापर्व की गीतों की मर्मस्पर्शी वाणी थीं। उनके गाए छठ गीतों को सुनते ही ऐसा लगता था, जैसे वे स्वयं छठी मइया की आराधना में लीन हो गई हैं। बिहार और उत्तर भारत के लोक संगीत में उनका योगदान अतुलनीय है। छठ के समय उनके गीतों के बिना पर्व अधूरा सा लगता था। उनकी आवाज़ में इतनी प्राणवत्ता थी कि उनके गीत सुनकर लोग आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाते थे।

प्रेम कहानियों का युग: 80s और 90s का जादू

शारदा सिन्हा की आवाज़ ने 80 और 90 के दशक की प्रेम कहानियों को और भी जीवंत बना दिया। उस समय के युवा प्यार में पड़ते थे, अपनी मोहब्बत के लिए जीते-मरते थे। “बॉबी,” “एक दूजे के लिए,” “मैंने प्यार किया,” “दिल है कि मानता नहीं,” जैसी फिल्मों में दिखाया गया प्यार उस दौर के हर युवा की कहानी बन गया था। शारदा सिन्हा का गीत “कहें तोसे सजना…” जैसे उनके दिलों का सहारा बन गया था।

कौन कहता है कि भारत बॉलीवुड से बचा हुआ है? 2000 तक, भारतीय जीवन बॉलीवुड की प्रेम कहानियों से लिपटा हुआ था, और उसमें शारदा सिन्हा जैसे कलाकारों का बड़ा योगदान था।

पद्मश्री और पद्मभूषण से अलंकृत

शारदा सिन्हा को भारतीय लोक संगीत में उनके योगदान के लिए पद्मश्री और पद्मभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनके संगीत ने उन्हें अमर बना दिया। वे भारतीय संस्कृति की वह आवाज़ थीं, जो हर पीढ़ी को जोड़ती रही। उनके जाने से संगीत जगत को एक अपूरणीय क्षति हुई है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।

शारदा सिन्हा के प्रति श्रद्धांजलि

हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। उनकी आवाज़ ने हमें प्रेम, विरह और भक्ति का सच्चा एहसास कराया है। छठ महापर्व में उनके गीत हमेशा जीवित रहेंगे, और उनकी धुनें हमें उनकी याद दिलाती रहेंगी।

शारदा सिन्हा जी का जाना केवल एक गायिका का विदाई नहीं है, बल्कि वह हमारी सांस्कृतिक पहचान और भावनाओं की सजीव धरोहर थीं। उनका संगीत हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा और उनके गीतों में बसती उनकी आत्मा हम सभी के दिलों में जीवित रहेगी।

ओम शांति 🙏