ना फ़नकार तुझसा तेरे बाद आया
मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया
सुरो की सुरीली वो परवाज तेरी
बहुत खूबसूरत थी आवाज तेरी
ज़माने को जिसने दीवाना बनाया
मोहम्मद रफ़ी तू बहुत याद आया
फिल्मी दुनिया में कई कलाकार ऐसे रहे हैं जो अपनी कला के जरिए हर दिल में बस गए और अमर हो गये। ऐसे ही कलाकारो में से एक हैं प्रसिद्ध गायक और पद्मश्री मोहम्मद रफ़ी। रफी जी की आवाज का जादू ही कुछ ऐसा था कि आज भी उनके नगमें कभी पुराने नहीं लगते। उन्होंने अपने करियर में करीब 28,000 गाने गाए। सुरों के इस फनकार ने 55 साल की उम्र में 31 जुलाई 1980 को दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज देश रफी साहब की चवालीसवीं पुण्यतिथि मनाकर उन्हें याद कर रहा है।
संगीत जगत में रफी साहब जिस मुकाम पर थे शायद यदि कोई और होता तो उसे इस बात का घमंड होता, लेकिन रफी साबह का व्यक्तित्व एकदम सरल था। वो किसी का हक मारने में विश्वास नहीं रखते थे। वे बहुत ही दयालू, शरीफ और नेक किस्व के व्यक्तित्व वाले इंसान थे। वैसे तो उनके दिलदार चरित्र के कई किस्से हैं लेकिन, आज में आपके साथ एक किस्सा साझा करूंगी।
1981 के दौर की एक फिल्म थी कुदरत जिसके सभी गाने किशोर कुमार की आवाज में रिकॉर्ड किए गए थे। लेकिन निर्देशक चेतन आनंद चाहते थे कि एक गाना रफी साहब की आवाज में फिल्माया जाए। उनका मानना था कि इस गाने को केवल रफी साबह ही न्याय दे सकते हैं। वहीं संगीतकार आरडी बर्मन इस गाने में किसी नए गायक को मौका देना चाहते थे। उन्हें रफी साबह से इस गाने को गाने के लिए मनाने में संकोच लग रहा था। क्योंकि उस फिल्म के सारे गाने किशोर दा ने गाए थे।
आरडी बर्मन के बहुत मनाने पर चेतन आनंद ने नए गायक की आवाज सुनी और फिर उन्होंने नए सिंगर की आवाज में गाना रिकॉर्ड करने की पर्मिशन दे दी। फिर क्या था गाना रिकॉर्ड कर लिया गया। लेकिन अभी भी चेतन आनंद को लग रहा था कि इस गाने को न्याय केवल रफी साहब ही दे पाएंगे। फिर क्या था उन्होंने आरडी बर्मन से कहा कि वे रफी साहब से बात करें। रफी साबह से बात करने पार उन्होंने इस गानें को गाने की हामी भर दी।
स्टूडियों में गाने के तीन अंतरा रिकॉर्ड हो गए। तब धोखे से ब्रेंक के वक्त रफी साहब ने माइक्रोफोन पर उस नए सिंगर के गाए हुए गाने को सुन लिया। रफी ने टेक्नीशियन को बुलाया और पूछा क्या ये गाना पहले भी किसी ने गाया है। टोक्निशियन ने रफी साबह से कहा हां वो कोने में जो दाढ़ी वाला बैठा है ना उसने गाया है। अच्छा गाया है। रफी बोले क्या कमाल गाया है। फिर फिर रफी साहब ने पंचम दा को सिंगर केबिन में बुलाया और कहा, ‘पंचम, सच बताना ये गाना पहले किसी और से रिकार्ड कराया है.’ रफी साहब का गुस्सा देख पंचम दा ने ईमानदारी से किस्सा बयान कर दिया। तब रफी साहब नाराज़ होकर बोले ‘पंचम, क्यों किसी नए कलाकार की जिंदगी मेरे हाथों बरबाद करते हो.’ उसके बाद पंचम दा ने रफी साहब से बहुत आग्रह किया कि आप ही गाना पूरा करें, लेकिन रफी साहब नहीं माने और रिकार्डिंग बीच में छोड़कर चले गए।
तो इस प्रकार, एक नए और प्रतिभाशाली गायक की गायकी बरबाद होने से बच गई। बाद में मजबूरी में चौथा अंतरा उस नए गायक की आवाज़ में जारी किया गया। तीन अंतरे रफी साहब की आवाज में उपलब्ध थे ही। बाद में वो गायक मराठी फिल्म इंडस्ट्री का बहुत बड़ा गायक बना. उसका नाम था चन्द्रशेखर गाडगिल। इस तरह रफी साहब के साथ एक अंतरा गाकर चन्द्रशेखर मराठी इंडस्ट्री में बड़ा नाम बने।
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