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कश्मीर में आतंक का साया ; पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा बेनकाब, सुरक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल..

29 अप्रैल , 2025

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने एक बार फिर देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तान का पूर्व SSG कमांडर हाशिम मूसा है, जो अब लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा है। खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया है कि मूसा को विशेष रूप से गैर-कश्मीरियों और सुरक्षा बलों पर हमले करने के लिए कश्मीर भेजा गया था। इस हमले ने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को भी प्रभावित किया है।

हमले का खौफनाक चेहरा: हाशिम मूसा

खुफिया सूत्रों के अनुसार, हाशिम मूसा ने अक्टूबर 2024 में गांदरबल के गगनगीर में हुए हमले को अंजाम दिया था, जिसमें कई मजदूरों और एक स्थानीय डॉक्टर की जान चली गई थी। इसके अलावा, बारामूला में हुए हमले में दो सैनिकों और दो पोर्टर्स की मौत के पीछे भी मूसा का ही हाथ था। पहलगाम हमले के बाद वायरल हुई एक तस्वीर में संदिग्ध आतंकी की पहचान मूसा के रूप में हुई, जो सुरक्षा एजेंसियों के स्केच से मेल खाती है।

पाकिस्तानी सेना भी इस हमले के बाद लगातार नियंत्रण रेखा (LoC) पर सीजफायर का उल्लंघन कर रही है। पिछले पांच दिनों से जारी गोलीबारी ने स्थिति को और तनावपूर्ण बना दिया है।

पर्यटन पर असर: 48 पर्यटक स्थल बंद

पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षा कारणों से 80 में से 48 पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया है। हालांकि, डोडा के भदरवाह में पर्यटकों की भीड़ देखी गई, जहां उन्होंने तिरंगा फहराकर अपनी निडरता का परिचय दिया। पर्यटकों का कहना है, “कश्मीर हमारा है, सेना हमारे साथ है, हमें कोई डर नहीं।” यह भावना निश्चित रूप से प्रेरणादायक है, लेकिन बंद किए गए पर्यटक स्थल कश्मीर के आर्थिक विकास पर भारी पड़ सकते हैं।

सुरक्षा बलों का जवाब: काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन

खबरों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर काउंटर टेररिज्म ऑपरेशन चल रहे हैं। सुरक्षा बल आतंकियों को खोजने और स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे हैं। इसके साथ ही, हमले के समय की एक वायरल वीडियो में दिखे कश्मीरी युवक मुजम्मिल से NIA पूछताछ कर रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद

पहलगाम हमले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने अपने नेताओं के विवादित बयानों से किनारा कर लिया, जबकि बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के सात नेता इस मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना बयान दे चुके हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भावुक संबोधन में कहा, “सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी थी। मृतकों के परिजनों से क्या कहूं? मेरे पास माफी के शब्द नहीं हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री शामिल नहीं हुए। वहीं, राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सवाल उठाया, “एक के बदले 100 सिर लाने की बात कहां गई?”

वैश्विक प्रतिक्रिया: UN में भारत की आवाज

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने पहलगाम हमले को 26/11 मुंबई हमले से भी भयावह बताया। उन्होंने कहा, “यह हमला आतंकवाद के प्रति दुनिया के जीरो टॉलरेंस रुख को दर्शाता है। हमें विश्व नेताओं का मजबूत समर्थन मिला है।” यह बयान भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाता है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत को भी रेखांकित करता है।

कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा

जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा पर नजर रखे हुए हैं। उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में कश्मीरी छात्रों के बीच डर का माहौल था, लेकिन गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

आतंक के खिलाफ एकजुटता जरूरी

पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि कश्मीर की शांति और समृद्धि पर हमला है। हाशिम मूसा जैसे आतंकियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर खुफिया तंत्र को और मजबूत करना होगा। पर्यटकों का साहस और सेना का समर्पण सराहनीय है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर का पर्यटन और अर्थव्यवस्था प्रभावित न हो।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में राजनीतिक एकता और वैश्विक सहयोग बेहद जरूरी है। यह समय आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि एकजुट होकर आतंक के साये को खत्म करने का है।