22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की जान चली गई और 17 घायल हुए। इस हमले के बाद भारत में राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर हलचल तेज हो गई है। खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी है कि हमले को अंजाम देने वाले आतंकी अभी दक्षिण कश्मीर के घने जंगलों में छिपे हुए हैं और उनके पास लंबे समय तक टिके रहने के लिए जरूरी राशन-पानी की व्यवस्था भी है।
घटना की पड़ताल : NIA ने संभाली कमान
हमले की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया है। NIA प्रमुख सदानंद दाते खुद बैसरन घाटी पहुंचे और करीब 3 घंटे तक घटना स्थल का मुआयना किया। इसके बाद उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा और “चुन-चुन कर मारा जाएगा।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं: अमेरिका भारत के साथ
अमेरिका ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। वहीं उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उम्मीद जताई कि भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव की स्थिति से बचा जा सकेगा।
भारत-पाक संबंध और बढ़ता तनाव
हमले के बाद पाकिस्तान ने LOC पर लगातार आठवें दिन सीजफायर का उल्लंघन किया है। जम्मू-कश्मीर के पुंछ, बारामूला और कुपवाड़ा जैसे इलाकों में फायरिंग की गई, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत ने इस मामले में पाकिस्तान को हॉटलाइन के जरिए सख्त चेतावनी भी दी है।
इस बीच पाकिस्तान ने चीन से मिली SH-15 तोपों को भारत सीमा के पास तैनात कर दिया है। साथ ही स्कार्दू, ग्वादर और स्वॉट एयरबेस को सक्रिय कर दिया है। सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान को आशंका है कि भारत समुद्री रास्ते से बड़ा जवाबी हमला कर सकता है।
कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था सख्त
भारत सरकार ने 14 स्थानीय आतंकियों की सूची जारी की है और सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर में तलाशी अभियान तेज कर दिया है। कश्मीर के जंगलों में आतंकी गतिविधियों की रोकथाम के लिए नई रणनीति पर काम हो रहा है। पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों की सुरक्षा में भी वृद्धि की जा रही है।
यह समय है सख्त और संतुलित कार्रवाई का
यह हमला न सिर्फ सुरक्षा तंत्र की चूक दिखाता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि पाकिस्तान की शह पर काम कर रहे आतंकी अब सीधे आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं ताकि भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को हिला सकें। ऐसे में भारत को न केवल आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के प्रयास भी तेज करने चाहिए।
साथ ही, यह भी जरूरी है कि देश के भीतर किसी भी समुदाय को इस हमले से जोड़कर सामूहिक रूप से दोषी न ठहराया जाए। एकजुटता और जागरूकता से ही आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है।
निष्कर्ष
पहलगाम हमला भारत की आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह समय सिर्फ प्रतिक्रिया का नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से निर्णायक पहल का है। जब तक आतंकवाद की जड़ पर प्रहार नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहेगी।

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