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छठ पूजा का दूसरा दिन: जानें खरना के दिन की विशेषताएँ, विधि और महत्व

छठ पूजा भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और श्रद्धा से भरा हुआ पर्व है, जो खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता और उनकी पत्नी छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित होता है और चार दिनों तक चलता है। इस दौरान श्रद्धालु उपवासी रहते हैं, व्रत करते हैं और सूर्य की उपासना करके अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। छठ पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और पारंपरिक विश्वासों का भी प्रतीक है।

इस महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ के नाम से जाना जाता है, जो छठ पूजा का एक खास और पवित्र दिन है। खरना का अर्थ है ‘शुद्धिकरण’—यानी शरीर और आत्मा का पवित्र होना। इस दिन व्रति महिलाएं उपवासी रहती हैं, विशेष प्रकार के प्रसाद तैयार करती हैं, और सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। आइए जानते हैं इस दिन की विशेष पूजा विधि, प्रसाद, और इस दिन के महत्व के बारे में विस्तार से।

खरना का महत्व और पूजन विधि

खरना का दिन छठ पूजा के अनुष्ठान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिसमें उपवास और पूजा का महत्व बहुत ज्यादा होता है। इस दिन विशेष रूप से गुड़ की खीर बनाना और सूर्य देवता की पूजा करना अनिवार्य होता है।

1. पूजा की विधि:

खरना के दिन सबसे पहले घर और पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। व्रति (विशेषकर महिलाएं) इस दिन उपवासी रहती हैं और शुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा करती हैं। पूजा स्थल पर गन्ने का प्रयोग होता है, जो इस दिन के खास प्रतीक होते हैं। गन्ने के टुकड़ों और उनके रस से प्रसाद तैयार किया जाता है।

2. खरना का प्रसाद:

खरना का प्रसाद एक विशेष प्रकार की गुड़ की खीर होती है, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस खीर में चावल, दूध, गुड़, और तुलसी के पत्ते डाले जाते हैं, ताकि प्रसाद में शुद्धता और पवित्रता बनी रहे। इसके अलावा, रोटी और विभिन्न प्रकार के फल भी प्रसाद में शामिल किए जाते हैं। यह प्रसाद पहले व्रति स्वयं ग्रहण करती हैं, फिर इसे परिवार और मित्रों में वितरित किया जाता है।

3. सूर्य देव को अर्घ्य देना:

खरना के दिन सूर्यास्त से पहले, व्रति सूर्य देव को अर्घ्य देने की विशेष पूजा करते हैं। इस समय, पूजा स्थल पर एक दीपक जलाया जाता है और फिर पानी में गंगाजल और दूध मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। पूजा के बाद, सूर्य देव को तैयार किया गया प्रसाद अर्पित किया जाता है, जिसे फिर से प्रसाद स्वरूप सभी को बांट दिया जाता है।

खरना के दिन की विशेष बातें

खरना के दिन विशेष ध्यान देने योग्य कुछ बातें हैं:

  1. हाथों की सफाई: अक्सर बच्चे बिना हाथ धोए प्रसाद या पूजा सामग्री को छू लेते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि पूजा सामग्री का उपयोग केवल शुद्ध हाथों से किया जाए और यदि कोई चीज़ गंदे हाथों से छू ली गई हो, तो उसे पुनः इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  2. प्याज और लहसुन का त्याग: पूरे छठ पूजा के चार दिन प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है। यह दिनभर के उपवासन का हिस्सा है और इसे शुद्धता और संयम के साथ मनाना चाहिए।
  3. शारीरिक शुद्धता: पूजा के समय सफाई का विशेष ध्यान रखें। किसी भी सामग्री को बिना हाथ धोए न छुएं और घर के प्रत्येक कोने की सफाई का पूरा ध्यान रखें।
  4. सोने का तरीका: महिलाओं को चार दिन तक पलंग पर न सोकर, जमीन पर कपड़ा बिछाकर सोना चाहिए। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है और व्रत के उद्देश्य को पूरा करता है।

छठ पूजा का दूसरा दिन ‘खरना’ न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह परिवार और समाज के साथ एक सामूहिक बंधन को मजबूत करने का अवसर भी है। इस दिन का पालन करते हुए हम न केवल सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने जीवन को शुद्ध करने का एक अवसर भी पाते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि इस तरह के पर्वों से हमें संयम, शुद्धता और आस्था का महत्व समझ में आता है, जो हमें अपने जीवन में निरंतर पालन करना चाहिए।