सुप्रीम कोर्ट ने आज वोट के बदले नोट (vote for note case) मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने ही 26 साल पुराने फैसले को पलटते हुए सांसदों को राहत देने पर असहमति जाहिर की है।
SC ने वोट फॉर नोट केस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देने पर विधायक-सांसद के खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा, उन्हें इसके लिए कानूनी छूट नहीं दी जाएगी।
इस फैसले पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट का एक महान निर्णय जो स्वच्छ राजनीति सुनिश्चित करेगा और सिस्टम में लोगों का विश्वास गहरा करेगा।”
7 जजों की संविधान पीठ ने आज सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि सांसद पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि किसी को घूसखोरी की कोई छूट नहीं है, चाहे वो सांसद हो या विधायक।
फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पीवी नरसिम्हा मामले में फैसले से असहमत हैं। दरअसल, पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआई मामले में 26 साल पहले यानी वर्ष 1998 में सदन में ‘वोट के बदले नोट’ मामले में सांसदों को मुकदमे से छूट की बात कही गई थी।

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