आपने शिवजी के गले में बंधे सांप के बारे में सुना ही होगा। उस सांप का नाम वासुकि है। अब कुछ लोग कहेंगे कि यह तो बस कहानी है। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि यह सांप एक कहानी नहीं, हकीकत है, और इसके अवशेष हालही में कच्छ में पाए गए हैं, तो क्या आप यकीन करेंगे?
जी हां, हालही में कच्छ के पनान्ध्रो के पास एक लिग्नाइट खदान में दुनिया के सबसे बड़े सांप ‘वासुकी’ के अवशेष पाए गए हैं। वासुकि को सांपों का राजा भी कहा जाता है। यह वही सांप है जिसका ज़िक्र समुद्रमंथन में भी पाया जाता है। इस सांप का साइंटिफिक नाम वासुकि इंडिकस रखा गया है। यह नाम रखने के पीछे की वजह यह है कि वासुकि तो इसका नाम ही है, और इंडिकस यानी ‘इंडिया’ जहाँ सांप मिला है।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) रूड़की के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है और बताया है कि यह सांप कभी अस्तित्व में हुआ करता था। और जो संभवतः 47 मिलियन वर्ष पहले मध्य इओसीन नामक अवधि के दौरान रहता था। फॉसिल को देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सांप तकरीबन 49 फ़ीट लम्बा है और यह फॉसिल 4.9 करोड़ साल पुराना है।
IIT रूड़की में प्रोफेसर सुनील बाजपेयी और पोस्ट-डॉक्टोरल शोधकर्ता देबजीत दत्ता को कच्छ में पनांध्रो लिग्नाइट खदान में इस सांप की रीढ़ की हड्डी के 27 टुकड़े मिले हैं। देबजीत के मुताबिक वासुकि साँपों का एवरेज वज़न 1000 kg के आसपास होता था और इनकी लम्बाई तकरीबन 36 से 49 फ़ीट हुआ करती थी।
बताया जा रहा है कि इसकी रीढ़ की हड्डी का जो सबसे मोटा हिस्सा मिला है वह साढ़े चार इंच चौड़ा है। यानी यह सांप तकरीबन 17 इंच चौड़ा रहा होगा। हालांकि अभी तक इसका सिर नहीं मिल पाया है। खोजबीन जारी है।
देबजीत दत्ता ने कहा, “अपने बड़े आकार को ध्यान में रखते हुए, वासुकी एक धीमी गति से हमला करने वाला शिकारी था जो एनाकोंडा और अजगर की तरह अपने शिकार को वश में कर लेता था। यह सांप उस समय तट के पास एक दलदल में रहता था जब वैश्विक तापमान आज की तुलना में अधिक था।”
दरअसल वासुकी Madtsoiidae फैमिली के सांपों से संबंध रखता था। ये सांप 9 करोड़ साल पहले धरती पर मौजूद थे, जो 12 हजार साल पहले खत्म हो गए। ये भारत से लेकर दक्षिणी यूरेशिया, उत्तरी अफ्रीका तक फैले थे। लेकिन, जब यूरेशिया 5 करोड़ साल पहले एशिया से टकराया, तब भारत बना। और अनुमान लगाया जा रहा है कि वासुकि तभी भारत में आया होगा।
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