हर आंगन में चहचहाहट भर देने वाली छोटी-सी गौरैया अब विलुप्ति की कगार पर है। शहरीकरण, प्रदूषण और हरियाली की कमी ने इन नन्हीं पंछियों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। ऐसे में 20 मार्च को मनाया जाने वाला ‘विश्व गौरैया दिवस’ हमें गौरैयाओं के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष का थीम “आई लव स्पैरो” है, जो गौरैयाओं के प्रति प्रेम और जागरूकता को प्रोत्साहित करने का संदेश देता है।
गौरैया: प्रकृति का उपहार
गौरैया केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा है। ये छोटे पक्षी कीट-पतंगों को खाकर जैविक संतुलन बनाए रखते हैं। इसके अलावा, उनके माध्यम से पौधों की परागण और बीजों का प्रसार भी होता है।
गौरैया की घटती संख्या: एक चिंता का विषय
हालांकि कभी हर घर में गौरैया का घोंसला दिखाई देता था, लेकिन आज उनकी संख्या लगातार घट रही है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- शहरीकरण और आधुनिक निर्माण: कंक्रीट के जंगल में घोंसले बनाने की जगहें खत्म हो गई हैं।
- प्रदूषण और माइक्रोवेव रेडिएशन: मोबाइल टावरों से निकलने वाली तरंगें पक्षियों को प्रभावित करती हैं।
- कीटनाशकों का उपयोग: कृषि में अत्यधिक कीटनाशकों के उपयोग से कीट मर जाते हैं, जो गौरैयाओं का मुख्य आहार हैं।
- हरियाली की कमी: कम होते पेड़-पौधे और बाग-बगीचों की कमी ने उनके लिए भोजन और आश्रय की समस्या पैदा कर दी है।
गौरैया बचाने के लिए उठाए गए कदम
भारत में गौरैया संरक्षण के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं:
- “सेव द स्पैरो” अभियान: प्रकृति प्रेमी जगत किंखाबवाला के नेतृत्व में शुरू हुआ यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन से और भी प्रभावी बना।
- “कूडुगल ट्रस्ट” (चेन्नई): बच्चों को गौरैया के घोंसले बनाने की प्रेरणा दी गई, जिससे 2020 से 2024 के बीच 10,000 से अधिक घोंसले बनाए गए।
- “अर्ली बर्ड” पहल: मैसूरु में बच्चों को पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए गतिविधियाँ और बर्डवॉचिंग ट्रिप आयोजित की जाती हैं।
- राज्यसभा सांसद बृज लाल का प्रयास: उन्होंने अपने घर में 50 से अधिक घोंसले लगवाए, जिससे गौरैयाओं को सुरक्षित आश्रय मिला।
गौरैया संरक्षण में आपकी भूमिका
गौरैया को बचाने के लिए हर व्यक्ति छोटे-छोटे प्रयास कर सकता है:
- घोंसले बनाएं: अपने घर की बालकनी या छत पर लकड़ी या मिट्टी के घोंसले लगाएं।
- पानी और दाना रखें: पक्षियों के लिए साफ पानी और अनाज की व्यवस्था करें।
- हरियाली बढ़ाएं: अपने आसपास पौधे लगाएं, जिससे गौरैयाओं को भोजन और आश्रय मिले।
- पेस्टिसाइड का कम उपयोग करें: जैविक खेती को अपनाकर कीटों की संख्या बनाए रखें।
गौरैया बचाओ, पर्यावरण सजाओ
विश्व गौरैया दिवस हमें याद दिलाता है कि छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। जब हम गौरैयाओं के लिए सुरक्षित वातावरण बनाएंगे, तो वे फिर से हमारे आंगन में लौटेंगी।

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