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satrangi re

Satrangi Re: जब कविता कृष्णमूर्ति ने गानें के बजाय लफ्जों से रचा जादू

Satrangi Re: 1998 में रिलीज हुई मणिरत्नम की फिल्म “दिल से” न सिर्फ कहानी और निर्देशन के लिए यादगार बनी, बल्कि इसके म्यूजिक ने भी लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। एआर रहमान द्वारा कंपोज़ किए गए इस फिल्म के गाने आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे खूबसूरत म्यूजिकल पीसेज में गिने जाते हैं। इन्हीं गानों में से एक है “सतरंगी रे”, जो अपनी लिरिकल गहराई और अद्वितीय प्रस्तुति के कारण एक क्लासिक बन चुका है।

सतरंगी रे का जादू

“सतरंगी रे” सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि प्रेम के सात रंगों का संगीतात्मक चित्रण है। इसमें सोनू निगम की मेलोडी और कविता कृष्णमूर्ति की अनूठी आवाज़ ने मिलकर इसे एक अलग ऊंचाई दी। खास बात यह है कि इस गाने में कविता ने गाया नहीं, बल्कि अपने शब्दों और भावों को आवाज़ दी।

कविता कृष्णमूर्ति का अनूठा प्रयोग

यह गाना कविता के लिए बेहद अलग और चुनौतीपूर्ण था। गाने में कविता ने लिरिक्स गाने के बजाय सिर्फ बोलने का काम किया
“मैंने ऐसा कभी नहीं किया था। जब रहमान जी ने मुझे बताया कि मुझे गाना नहीं, बल्कि सिर्फ बोलना है, तो यह मेरे लिए एक नया अनुभव था,” कविता ने एक इंटरव्यू में बताया था।

उनके शब्दों की गहराई और आवाज़ का उतार-चढ़ाव गाने को एक भावनात्मक गहराई देता है। यह लिरिकल परफॉर्मेंस न सिर्फ गाने को अद्वितीय बनाती है, बल्कि इसमें प्रेम और वियोग का एक अदृश्य परिदृश्य भी खड़ा करती है।

एआर रहमान की दृष्टि

“सतरंगी रे” में एआर रहमान ने भारतीय संगीत को एक नई परिभाषा दी। गाने में प्रयोग किए गए साउंड्स, लिरिक्स, और फ्यूजन एक अनूठा अनुभव देते हैं।
“कविता जी की आवाज़ में एक अलग गहराई थी। मैंने चाहा कि वह गाने को एक अलग स्तर पर ले जाएं। उनकी आवाज़ का हर शब्द सुनने वाले के दिल तक पहुंचता है,” रहमान ने एक बार कहा था।

लिरिक्स और भावनाओं का संगम

गाने के बोल गुलज़ार द्वारा लिखे गए थे।
“सतरंगी रे, सतरंगी रे… सातों रंग मेरे… छूकर तुझसे गुजरते हैं…”
यह गाना प्रेम के हर पहलू को छूता है—उम्मीद, जुनून, दर्द, और त्याग। सोनू निगम की आवाज़ में गाने का जुनून और कविता की आवाज़ में शब्दों की गहराई इसे आत्मा से जुड़ने वाला अनुभव बनाते हैं।

दृश्य और ध्वनि का मेल

गाने का पिक्चराइजेशन भी उतना ही यादगार है। शाहरुख खान और मनीषा कोइराला पर फिल्माए गए इस गाने में लद्दाख की बर्फीली वादियों और रेगिस्तान की तपती रेत का मेल प्रेम के असीमित रंगों को दर्शाता है।

संगीत की दुनिया में मील का पत्थर

“सतरंगी रे” ने दिखाया कि गाने का अर्थ केवल संगीत और गायकी नहीं, बल्कि भावनाओं का अनुभव भी है। कविता कृष्णमूर्ति ने इस गाने के साथ यह साबित कर दिया कि उनकी आवाज़ सिर्फ गाने के लिए नहीं, बल्कि भावनाओं को ज़िंदा करने के लिए बनी है।

यह गाना आज भी सुनने वालों को उसी गहराई और जुनून से भर देता है, जैसे पहली बार सुनने पर महसूस हुआ था। “सतरंगी रे” केवल एक गाना नहीं, बल्कि प्रेम, कला, और संगीत का एक नायाब संगम है।