16 years of 26/11: 26 नवंबर 2008 की वह भयावह रात हर भारतीय के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ गई। यह दिन भारत के इतिहास में सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक के रूप में दर्ज है। आतंकवादियों के इस हमले में मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे कई स्थानों को निशाना बनाया गया। 60 घंटे तक चलने वाले इस हमले ने 166 निर्दोष लोगों की जान ली और 300 से अधिक घायल हुए।
इस त्रासदी में कई नायक सामने आए, जिन्होंने न केवल अपने साहस और बलिदान से लोगों की जान बचाई, बल्कि आतंकियों के खिलाफ मजबूती से डटे रहे। आइए, इस घटना के 16 साल बाद उन नायकों और उनके योगदान को याद करें।
नायकों की कहानियां
1. हेमंत करकरे: आतंकवाद विरोधी दल के प्रमुख
हेमंत करकरे, महाराष्ट्र ATS के प्रमुख, हमले के दौरान आतंकियों के खिलाफ सबसे पहले हमला करने वालों में से एक थे। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना आतंकियों से लोहा लिया। इस दौरान वे शहीद हो गए। उनका बलिदान आज भी हर भारतीय के दिल में जिंदा है।
2. तुकाराम ओंबले: असली नायक
तुकाराम ओंबले ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अजमल कसाब को जीवित पकड़ने में अहम भूमिका निभाई। AK-47 की गोलियां झेलते हुए उन्होंने कसाब को रोके रखा, जो भारत के लिए इस हमले की साजिश का सबूत बना।
3. एनएसजी कमांडो
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कमांडो, जिन्हें “ब्लैक कैट्स” भी कहा जाता है, ने ताज होटल, ओबेरॉय और नरीमन हाउस में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। उनकी बहादुरी ने सैकड़ों जानें बचाईं और आतंकियों को खत्म किया।
4. होटल स्टाफ का समर्पण
ताज होटल और ओबेरॉय के स्टाफ ने अपनी जान की परवाह किए बिना मेहमानों की सुरक्षा सुनिश्चित की। ताज होटल के शेफ और अन्य कर्मचारी अंत तक मेहमानों की मदद करते रहे, जो मानवता की एक अद्भुत मिसाल है।
हमले के सबक
26/11 का हमला न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक था कि आतंकवाद की जड़ें कितनी गहरी हैं। इस हमले के बाद भारत ने अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए:
- NIA का गठन: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की स्थापना आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय खतरों से निपटने के लिए की गई।
- तटीय सुरक्षा में सुधार: भारत ने अपने तटीय क्षेत्रों में सुरक्षा को मजबूत किया।
- सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण: पुलिस और विशेष बलों को नई तकनीक और हथियारों से लैस किया गया।
अजमल कसाब: न्याय की जीत
हमले के एकमात्र जीवित आतंकवादी, अजमल कसाब, को भारतीय सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया। मुंबई की विशेष अदालत ने उसे दोषी ठहराया और 2012 में उसे फांसी दी गई। यह न्याय आतंक के खिलाफ भारत की दृढ़ता का प्रतीक था।
26/11 के सभी नायकों और शहीदों को हमारा नमन। उनकी बहादुरी, समर्पण और बलिदान हमें प्रेरणा देते हैं कि हम एकजुट होकर किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
“आपकी कुर्बानी को भारत कभी नहीं भूलेगा।”
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