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संसद में मचा हंगामा : बेकाबू हुए राहुल गांधी, BJP सांसद को मारा जोरदार धक्का

नई दिल्ली: संसद के बाहर और अंदर हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन्हें धक्का मारा, जिसके कारण वे गिरकर चोटिल हो गए। ओडिशा से भाजपा सांसद सारंगी ने बताया कि वे संसद भवन की सीढ़ियों के पास खड़े थे, तभी राहुल गांधी ने एक अन्य सांसद को धक्का दिया, जिससे वह गिरकर प्रताप सारंगी पर आ गिरे और उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। घटना के बाद सारंगी को एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल भेजा गया।

राहुल गांधी ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें संसद में प्रवेश करने से रोका जा रहा था। इस दौरान धक्का-मुक्की हुई, जिसमें प्रताप सारंगी को चोटें आईं। राहुल का कहना था कि यह सब एक अजीब स्थिति में हुआ और यह पूरी तरह से अनजाने में हुआ।

दरअसल,संसद में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के बाद छिड़े विवाद ने कांग्रेस को आक्रामक मोड में ला दिया है। कांग्रेस ने 19 दिसंबर को देशभर में अमित शाह और भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन की घोषणा की है। इसी बीच, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संसद में अपने अंदाज से सबका ध्यान खींचा।

राहुल गांधी मंगलवार को संसद पहुंचे तो उन्होंने नीले रंग की टी-शर्ट पहनी थी, वहीं प्रियंका गांधी नीले रंग की साड़ी में नजर आईं। उल्लेखनीय है कि बहुजन आंदोलन से जुड़े संगठनों के लिए नीला रंग उनके झंडे और प्रतीकों में विशेष महत्व रखता है। इसे बहुजन आंदोलन का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसे में गांधी परिवार द्वारा नीले कपड़े पहनकर एक बड़े राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की गई।

कांग्रेस नेताओं ने अंबेडकर के विचारों और उनके योगदान के प्रति भाजपा के रवैये की कड़ी निंदा की है। इस बीच, राहुल और प्रियंका का नीले रंग के कपड़ों में दिखना भाजपा पर राजनीतिक और वैचारिक हमला माना जा रहा है। कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डॉ. अंबेडकर के अपमान को सहन नहीं किया जाएगा।

यह घटनाएं हमारे लोकतंत्र और संसद के प्रति गंभीर सवाल उठाती हैं। जहां एक ओर नेताओं के बीच में व्यक्तिगत विवादों और झगड़ों का होना सामान्य बात नहीं है, वहीं दूसरी ओर यह भी ध्यान देने योग्य है कि संसद के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर शांति और सहयोग का माहौल होना चाहिए। हंगामे और शारीरिक संघर्ष से हम कोई सकारात्मक संदेश नहीं भेज सकते। नेताओं को चाहिए कि वे अपनी राजनीति को स्वस्थ और विकासात्मक दृष्टिकोण से चलाएं, न कि व्यक्तिगत आक्षेपों और आरोपों से।