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Wednesday, February 5   7:00:55

अवैध प्रवासियों की वापसी ,अमेरिका से 104 भारतीय अमृतसर पहुंचे

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 104 भारतीयों को बुधवार, 5 फरवरी को वापस भारत भेज दिया गया। ये सभी अमेरिकी सेना के C-17 मिलिट्री विमान से भारत लाए गए, जो दोपहर करीब 2 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा। खास बात यह रही कि इस विमान को सामान्य पैसेंजर टर्मिनल के बजाय एयरफोर्स के एयरबेस पर उतारा गया, जहाँ सुरक्षा अधिकारियों ने सभी प्रवासियों की वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू की।

डिपोर्टेशन की प्रक्रिया और संख्याएँ

अमेरिका ने कुल 205 भारतीयों को डिपोर्ट करने के लिए चिह्नित किया था, जिनमें से 186 की लिस्ट सामने आई है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बाकी बचे भारतीयों को कब और कैसे वापस भेजा जाएगा।

इस डिपोर्टेशन में हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र से 3, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ से 2-2 लोग शामिल हैं। इनमें कुछ परिवार और 8–10 साल के बच्चे भी शामिल हैं। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के लोगों को सड़क मार्ग से घर भेजा जाएगा, जबकि गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के लोगों को हवाई मार्ग से आगे भेजे जाने की योजना है।

अमेरिकी सख्ती और ट्रंप प्रशासन का रुख

अमेरिकी प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की नीति अपनाई है। अमेरिका ने पहली बार अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए सैन्य विमान का उपयोग किया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन में यह प्रवृत्ति और तेज हुई, जिसमें अवैध प्रवासियों को “क्रिमिनल” करार दिया गया और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए विशेष अभियान चलाया गया।

अब तक, अमेरिका ग्वाटेमाला, होन्डुरास, इक्वाडोर और पेरू के अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेज चुका है। भारत पांचवां ऐसा देश बन गया है, जिसके नागरिकों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है।

डिपोर्ट किए गए लोगों की निगरानी और पुन: सत्यापन

अमृतसर के पूर्व पासपोर्ट अधिकारी जे.एस. सोढी के अनुसार, डिपोर्ट किए गए व्यक्ति के पास आमतौर पर पासपोर्ट नहीं होता। ऐसे में भारतीय दूतावास उन्हें एक विशेष प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट) जारी करता है, जो भारत पहुंचते ही वापस ले लिया जाता है। यह प्रमाण पत्र जारी करने से पहले व्यक्ति की पृष्ठभूमि की गहन जांच की जाती है। भारत लौटने के बाद स्थानीय पुलिस इन पर नजर रखती है और दोबारा से इनकी वेरिफिकेशन की जाती है।

अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या और चुनौतियाँ

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में लगभग 17,940 भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं। इन लोगों को गैर-कानूनी रूप से अमेरिका में घुसने के लिए जेल में नहीं डाला गया, बल्कि वे कागजी कार्रवाई की लंबी प्रक्रिया में फंस गए हैं। आमतौर पर यह प्रक्रिया पूरी होने में तीन साल तक का समय लग जाता है।

2023 में अमेरिका ने H-1B वीजा के तहत 3,86,000 वीजा जारी किए, जिनमें से लगभग 75% भारतीय नागरिकों को दिए गए थे। हालांकि, इसके बावजूद कई भारतीय नागरिक अवैध रूप से अमेरिका में रहने के लिए मजबूर हैं, जो बाद में डिपोर्टेशन के शिकार हो जाते हैं।

भारत सरकार का रुख

भारत सरकार ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए नागरिकों को वापस लेने पर सहमति जताई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुद्दे पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो से चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि भारत अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे नागरिकों की वापसी के लिए तैयार है और इस मुद्दे पर भारत का रुख स्थिर और सैद्धांतिक रहेगा।

अवैध प्रवासियों का मुद्दा केवल अमेरिका और भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक समस्या बन चुका है। लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में कानूनी बाधाओं को पार कर विदेशों में बसने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह है कि वे डिपोर्टेशन, शोषण और कानूनी समस्याओं में फंस जाते हैं।

सरकारों को चाहिए कि वे अवैध प्रवास को रोकने के लिए कड़े कानूनों को लागू करने के साथ-साथ अपने नागरिकों को जागरूक करें। भारत को भी रोजगार और अवसरों की संख्या बढ़ाने पर जोर देना चाहिए, ताकि लोग विदेश जाने के बजाय अपने ही देश में एक अच्छा भविष्य बना सकें।

क्या आपको लगता है कि अवैध प्रवासियों के लिए अमेरिका की नीति सही है? क्या भारत को इस समस्या के लिए कुछ अलग करना चाहिए? अपने विचार हमारे साथ साझा करें!