छत्तीसगढ़ में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दिल्ली दौरे और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा व अरुण साव की मौजूदगी से अटकलों का बाजार गर्म है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री जल्द ही इसका ऐलान कर सकते हैं।
हाल ही में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच हुई 30 मिनट की बैठक को “सौजन्य मुलाकात” बताया गया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के बाद से ही राज्य में इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है। माना जा रहा है कि दो नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
कैबिनेट में शामिल होने की दौड़ में ये नाम
ब्रिजमोहन अग्रवाल के जाने के बाद शिक्षा विभाग का कार्यभार फिलहाल मुख्यमंत्री संभाल रहे हैं। कैबिनेट में शामिल होने की रेस में सुनील सोनी, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, रेणुका सिंह और अमर अग्रवाल जैसे नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, नगरीय निकाय चुनाव और शीतकालीन सत्र को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार के समय को लेकर सस्पेंस बरकरार है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर नक्सल उन्मूलन में मिली बड़ी सफलताओं की जानकारी दी। बस्तर और कोंडागांव जिलों को पूरी तरह नक्सल मुक्त घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह सफलता सुरक्षा बलों के अभियानों और सरकार की विकास योजनाओं का परिणाम है।”
11 दिसंबर को मतदाता सूची के प्रकाशन और 16-20 दिसंबर के शीतकालीन सत्र के बाद निकाय चुनावों पर फोकस होगा। आचार संहिता लागू होने से पहले मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला लिया जा सकता है।
“बस्तर ओलंपिक” का आमंत्रण
मुख्यमंत्री ने गृह मंत्री को “बस्तर ओलंपिक” के समापन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया, जिसे गृह मंत्री ने स्वीकार किया। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और विकास को प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 15,000 घरों का निर्माण जारी है।
क्या कहती है सियासी हवा?
छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार और नक्सलवाद पर मिली सफलता दोनों ही राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। जहां भाजपा और कांग्रेस निकाय चुनाव के लिए तैयारियों में जुटी हैं, वहीं मुख्यमंत्री का यह दिल्ली दौरा कई बड़े फैसलों का संकेत दे रहा है।
अब सवाल ये है कि क्या छत्तीसगढ़ का मंत्रिमंडल विस्तार सत्र से पहले होगा, या इसे चुनावी रणनीति के तहत टाला जाएगा?
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