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Thursday, March 6   12:48:42
rape case in india

बार-बार दुष्कर्म कर वीडियो इंटरनेट पर डाला, कोर्ट ने शादी की शर्त पर दी जमानत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को पीड़िता से तीन महीने के भीतर शादी करने की शर्त पर जमानत मंजूर की है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी नरेश मीणा (उम्र 26) को जमानत पर रिहा होने के बाद तीन महीने के अंदर 23 वर्षीय पीड़िता से शादी करनी होगी।

राजस्थान के सीकर के निवासी नरेश मीणा पर आरोप है कि वह कोचिंग सेंटर में पढ़ाई करने वाली 23 वर्षीय युवती को पुलिस भर्ती के लिए मेडिकल टेस्ट कराने के बहाने एक होटल में ले गया। वहां उसने युवती के साथ दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो व फोटो बनाए। इसके बाद उसने इन वीडियो और तस्वीरों के जरिए युवती को ब्लैकमेल करते हुए कई बार दुष्कर्म किया। इस घटना के बाद पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने 26 वर्षीय नरेश मीणा को गिरफ्तार किया था।

जमानत पर मिली रिहाई

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने नरेश मीणा को यह शर्त रखकर जमानत दी कि उसे जमानत पर रिहा होने के बाद तीन महीने के भीतर पीड़िता से शादी करनी होगी। इस शर्त के साथ हाईकोर्ट ने आरोपी को मामले से अस्थायी राहत दे दी है।

क्या है पीड़िता का आरोप?

पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के खंदौली पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि नरेश मीणा ने उसे पुलिस में नौकरी दिलाने के बहाने 9 लाख रुपये की मांग की थी। 17 से 24 फरवरी के बीच, पुलिस भर्ती परीक्षा देने के बहाने उसे आगरा लाया और मेडिकल टेस्ट कराने के नाम पर एक होटल में ले जाकर उसे बेहोश किया। इसके बाद उसने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया और अश्लील वीडियो और फोटो बना लिए। नरेश ने इन वीडियो और फोटो के आधार पर पीड़िता को ब्लैकमेल किया और बार-बार दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं, उसने यह वीडियो इंटरनेट पर भी पोस्ट कर दिया। पुलिस ने 21 सितंबर को नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया था।

वरिष्ठ वकील ने क्या कहा?

वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज पाठक ने बताया कि हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने आरोपी को इस शर्त पर जमानत मंजूर की कि वह तीन महीने के भीतर पीड़िता से शादी करेगा। कोर्ट के इस आदेश के बाद आरोपी को रिहा कर दिया गया। अब इस आदेश के संदर्भ में पीड़िता से भी बातचीत की जाएगी।

आदेश पर उठ रहे सवाल

हाईकोर्ट का यह आदेश विवादों में घिर गया है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला अधिकार संगठनों ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इस तरह के फैसले से पीड़िताओं को न्याय मिलने की उम्मीद और कमजोर होगी। साथ ही, यह संदेश जाएगा कि शादी करके दुष्कर्म के आरोप से बचा जा सकता है।

अब क्या होगा आगे?

इस मामले में आगे की सुनवाई और पीड़िता की प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण होगी। अगर पीड़िता इस शर्त को स्वीकार नहीं करती, तो मामला और जटिल हो सकता है। फिलहाल, कोर्ट के इस फैसले ने कानूनी और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर बहस छेड़ दी है।

 

 

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