देश के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में पहले नंबर पर आने वाले अंबानी परिवार का मुंबई वाला बंगला वाकई आलीशान है। आपने इस आलीशान बंगले के दीदार कई तस्वीरें और वीडियो में किए ही होंगे। लेकिन, अंबानी परिवार पिछले कुछ दिनों से जामनगर में है। जहां अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की प्री-वेडिंग सेरेमनी चल रही है। इस मौके पर अंबानी परिवार ने कुछ कार्यक्रमों के लिए जिस रिलायंस ग्रीन्स टाउनशिप को चुना है, उसकी भी एक अनोखी खासियत है।
जामनगर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर हाईवे के एक ओर रिलायंस रिफाइनरी है। वहीं दूसरी ओर रिलायंस ग्रीन्स टाउनशिप का इलाका हाई सिक्योरिटी जोन जैसा है। ऐसे में इस जगह पर आम लोगों की आवाजाही नहीं होती है। यहां तक कि किसी बाहरी व्यक्ति को भी रिलायंस ग्रीन्स के विशाल परिसर में प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। आज हम आपको रिलायंस ग्रीन्स में स्थित विशेष पेड़ों के बारे में बताने वाले हैं जो हजारों मील का सफर कर वहां स्थापित किए गए हैं।
रिलायंस ग्रीन्स परिसर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही आपको सबसे पहले सेंट्रल पार्क दिखाई देगा। जिसमें दो बड़े तालाबों को आकर्षक फव्वारों और लाइटिंग से सजाया गया है। इसके अलावा बत्तखों और अन्य पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ भी देखने को मिलती हैं। पास ही एक बहुत बड़ा बगीचा है. जिसमें देशी पेड़ों के अलावा विदेशी पेड़ भी लगाए गए हैं।
अंबानी परिवार का आलीशान बंगला भी यहीं जामनगर के रिलायंस ग्रीन्स में स्थित है। इस बंगले के आंगन को खूबसूरत बनाने के लिए नवंबर, 2021 में आंध्र प्रदेश से दो खास तरह के पेड़ लाए गए थे। 180 साल पुराना यह जैतून का पेड़ स्पेन में उगता है। जहां से तीन साल पहले आंध्र प्रदेश की गौतमी नर्सरी ने दोनों पेड़ मंगवाए थे। इन पेड़ों को कुछ समय तक नर्सरी में रखा गया। सदियों पुराने ये पेड़ भारतीय जलवायु के अनुकूल ढलने पर बिक्री के लिए रखे गए थे। अनोखे पेड़ की जानकारी मिलने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगों ने गौतमी नर्सरी से संपर्क किया और दोनों पेड़ खरीद लिए।
जैतून के पेड़ खरीदने के बाद उन्हें आंध्र प्रदेश के कदियाम से जामनगर तक लाना एक बड़ी चुनौती थी। दोनों पेड़ प्लास्टिक से ढके हुए थे। ताकि यह खराब न हो जाए, फिर इसे क्रेन के जरिए एक बड़े ट्रक में रखा गया और जामनगर लाया गया।
उस वक्त गौतमी नर्सरी ने आधिकारिक तौर पर ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया था। लेकिन सूत्रों से मिली कुछ जानकारी के मुताबिक, पेड़ों की सुरक्षा के चलते आंध्र प्रदेश से जामनगर तक जैतून के पेड़ लेकर जा रहे ट्रक की स्पीड 30 किमी प्रति घंटा ही रखी गई थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि दोनों पेड़ों को ट्रक में जामनगर लाने के लिए 3 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। विभिन्न मीडिया में अनौपचारिक जानकारी प्रकाशित हुई कि कुल खर्च 84 लाख रुपये था।
एक मान्यता के अनुसार जैतून के पेड़ को पवित्र माना जाता है। बहुत से लोग मानते हैं कि जैतून के पेड़ सौभाग्य और अच्छा स्वास्थ्य लाते हैं। जैतून के पेड़ उन कुछ पेड़ प्रजातियों में से एक हैं जिनका जीवनकाल लंबा होता है। कुछ जैतून के पेड़ 1000 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
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