हर रिश्ता आपसी सहयोग, सम्मान और स्वतंत्रता पर आधारित होता है। जब दो लोग एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए आगे बढ़ते हैं, तब रिश्ता मजबूत होता है। लेकिन जब एक व्यक्ति अपनी भावनाओं, जरूरतों और पहचान को त्यागकर पूरी तरह से अपने पार्टनर पर निर्भर हो जाता है, तो इसे को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप कहा जाता है।
को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप क्या है?
को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में एक व्यक्ति अपने साथी की खुशियों और जरूरतों को अपनी प्राथमिकता बना लेता है। इसमें आत्मसम्मान की कमी होती है, और व्यक्ति को अपने अस्तित्व का एहसास केवल अपने पार्टनर के माध्यम से होता है। यह रिश्ते के लिए हानिकारक होता है क्योंकि इसमें व्यक्ति अपने सुख-दुख को अनदेखा करने लगता है।
को-डिपेंडेंट होने के कारण
- बचपन के अनुभव: बचपन में उपेक्षा या दुर्व्यवहार सहने वाले लोग अक्सर को-डिपेंडेंट हो जाते हैं।
- अकेलेपन का डर: कुछ लोग अकेले रहने के डर से किसी भी रिश्ते में समझौता कर लेते हैं।
- कम आत्मसम्मान: आत्मविश्वास की कमी भी को-डिपेंडेंसी को जन्म देती है।
- इमोशनल इन-सिक्योरिटी: रिजेक्शन और अस्वीकृति का डर व्यक्ति को इस स्थिति में धकेल सकता है।
को-डिपेंडेंसी के 6 प्रमुख संकेत
- हर समय पार्टनर को खुश रखने की कोशिश: व्यक्ति अपने पार्टनर की खुशी के लिए अपनी इच्छाओं को बलिदान करता है।
- कंट्रोल करने की प्रवृत्ति: को-डिपेंडेंट व्यक्ति पार्टनर के हर फैसले पर नियंत्रण रखना चाहता है।
- असुरक्षा की भावना: हमेशा यह डर रहता है कि पार्टनर उसे छोड़ देगा।
- सीमाएं तय न करना: व्यक्ति अपनी सीमाएं निर्धारित नहीं कर पाता और हमेशा ‘हां’ कहता है।
- भावनात्मक थकान: पार्टनर की भावनाओं को समझने और पूरा करने में व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है।
- आत्म-परिभाषा की कमी: को-डिपेंडेंट व्यक्ति अपनी पहचान को केवल रिश्ते से जोड़कर देखता है।
को-डिपेंडेंसी का रिश्ते पर प्रभाव
को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इससे आत्मसम्मान में कमी, तनाव, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, पार्टनर को कंट्रोल करने की प्रवृत्ति रिश्ते में असंतुलन और संघर्ष को जन्म देती है।
को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप को कैसे बैलेंस करें?
- खुद को प्राथमिकता दें: अपनी इच्छाओं और जरूरतों को समझें और उन्हें महत्व दें।
- भावनाएं व्यक्त करें: पार्टनर से खुलकर बात करें और अपनी भावनाओं को साझा करें।
- सीमाएं तय करें: हेल्दी बाउंड्रीज़ सेट करें और ‘ना’ कहना सीखें।
- स्वतंत्रता अपनाएं: अपने शौक और रुचियों को समय दें।
- सोशल नेटवर्क बनाए रखें: परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं।
- प्रोफेशनल मदद लें: किसी थेरेपिस्ट या काउंसलर की मदद लें, जो आपको को-डिपेंडेंसी से बाहर निकलने में सहायता कर सकते हैं।
को-डिपेंडेंट रिलेशनशिप में फंसे व्यक्ति को यह समझना जरूरी है कि उनकी खुशी सिर्फ पार्टनर पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। आत्म-प्रेम और आत्म-सम्मान से ही रिश्ते को संतुलित और मजबूत बनाया जा सकता है। स्वस्थ रिश्ते वही होते हैं जहां दोनों पार्टनर स्वतंत्र होकर भी एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।
क्योंकि प्यार तभी खूबसूरत होता है जब वह बोझ नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बने।

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