CATEGORIES

May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
Tuesday, May 6   8:30:06
vegetables rate report

सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण कौन है, RBI का बड़ा खुलासा

भारत में सब्जियों की बढ़ती कीमतें वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन गई हैं। महंगाई के इस दौर में, उपभोक्ताओं के लिए सब्जियां खरीदना भी एक चुनौती बन गया है। भारतीय रिज़र्व बैंक के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, थोक और खुदरा विक्रेता मिलकर खुदरा मूल्य के मुकाबले लगभग 70 प्रतिशत राशि अपने पास रखते हैं और केवल 30 प्रतिशत ही किसानों को पहुंचता है। भरूच के सांसद मनसुख वसावा ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए एपीएमसी में शिकायत दर्ज कराई है कि किसानों को उनके उचित मेहनताने से वंचित किया जा रहा है।

बिचौलियों का बढ़ता लाभ
पिछले कुछ सालों में सब्जियों के दाम लगातार ऊंचे बने हुए हैं। एक समय था जब बरसात और सर्दियों में सब्जियों की कीमतें कम होती थीं, लेकिन अब हालात उलटे हो गए हैं। बेमौसम बारिश और फसल की कम पैदावार ने दामों को और भी बढ़ा दिया है। इसके बावजूद, किसानों की आय में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई है, जबकि थोक और खुदरा विक्रेता अपने लाभ में वृद्धि कर रहे हैं। कमीशन एजेंट और बिचौलिये भी किसानों की आय का हिस्सा अपने पक्ष में ले रहे हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर और प्रभाव पड़ रहा है।

आलू और प्याज की कीमतों का उदाहरण
अक्टूबर माह के पहले तीन हफ्तों में आलू की थोक बाजार में औसत कीमत 21 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि खुदरा बाजार में यह कीमत 50 से 60 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई। कुछ खुदरा विक्रेता 100 रुपये में ढाई किलो आलू बेच रहे हैं। इसी तरह, प्याज का औसत थोक मूल्य लगभग 34-37 रुपये प्रति किलो था, लेकिन खुदरा बाजार में यह 80 रुपये तक पहुंच गई। यह बढ़ी हुई कीमतें उपभोक्ताओं के लिए कष्टकारी बनती जा रही हैं और महंगाई को भी प्रभावित कर रही हैं।

सब्जियों की होम डिलीवरी और गुणवत्ता की समस्या
होम डिलीवरी कंपनियों द्वारा सब्जियों की बिक्री में गुणवत्ता का मुद्दा भी सामने आया है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि होम डिलीवरी की सब्जियों का वजन कम होता है और गुणवत्ता भी निम्न स्तर की होती है, जिससे उनकी समस्याएं और भी बढ़ जाती हैं।

समाधान की दिशा में आवश्यक कदम
बाजार में किसानों से खरीदी गई सब्जियों और खुदरा बाजार में उनकी कीमत के बीच के अंतर को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकारी हस्तक्षेप जरुरी है, जिससे किसानों को उनके उत्पाद की उचित कीमत मिल सके और उपभोक्ताओं पर मूल्य का बोझ कम हो।