कोलकाता के सरकारी हॉस्पिटल में शुक्रवार को पोस्ट-ग्रेजुएट ट्रेनी महिला डॉक्टर की डेड बॉडी मिलने के बाद राज्य में हंगामा मच गया है। शुरुआती जांच में जानकारी मिली कि रेप के बाद ट्रेनी डॉक्टर की हत्या की गई है। जब महिला की लाश मिली थी तो महिला के आंख, मुंह और प्राइवेट पार्ट्स से खून बर रहा था। वहीं दूसरे अंगों में भी गंभीर चोट के निशान पाए गए। इसके बाद राज्य में राजनीतिक पारा गर्म हो गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे दुर्भाग्यपूर्ण औऱ घृणित बताया है। लेकिन, अब यहां सवाल ये उठ रहे हैं भारत में बलात्कार की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है, इसके बाद भी इस पर कोई कड़ी कार्रवाई आखिर क्यों नहीं की जाती।
भारत में बलात्कार महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे आम अपराध है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 31,677 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, यानी प्रतिदिन औसतन 86 मामले सामने आए।
यह आंकड़ा 2020 में दर्ज 28,046 मामलों से बढ़कर 2021 में दर्ज किया गया, जबकि 2019 में 32,033 मामले सामने आए थे। कुल 31,677 मामलों में से 28,147 (लगभग 89%) बलात्कार पीड़िता के परिचितों द्वारा किए गए थे। पीड़िताओं में से 10% नाबालिग या 18 वर्ष से कम आयु की थीं, जो कि कानूनी सहमति की उम्र से कम है।
NCRB 2021 के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में भारतीय राज्यों में सबसे अधिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का नाम सामने आता है। महानगरों में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2021 में सबसे अधिक 1,226 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, जबकि जयपुर में बलात्कार की दर (प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 34) सबसे अधिक थी। कोलकाता में महानगरों में सबसे कम बलात्कार के मामले दर्ज किए गए, जिससे यह सबसे कम बलात्कार दर वाला शहर बन गया।
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