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Saturday, March 29   1:34:24

राणा सांगा विवाद: आगरा में करणी सेना का उग्र प्रदर्शन, बैरिकेडिंग तोड़ी

क्या है पूरा मामला? आगरा में राणा सांगा से जुड़े एक विवाद ने बड़ा रूप ले लिया, जिसके चलते करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर हंगामा किया। “जय भवानी, आ गए शेर!” जैसे नारों के बीच प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने का भी प्रयास किया, जिससे प्रशासन को स्थिति संभालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। यह विवाद एक ऐतिहासिक किरदार की छवि को लेकर शुरू हुआ, जिसने राजपूत समाज में भारी आक्रोश फैला दिया।

करणी सेना का आक्रोश क्यों? करणी सेना का दावा है कि राणा सांगा की विरासत को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार, यह न केवल राजपूत गौरव का अपमान है, बल्कि इतिहास से छेड़छाड़ भी है। संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे अपनी संस्कृति और पूर्वजों के सम्मान की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।

आगरा बना विरोध का केंद्र आगरा में करणी सेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ने की कोशिश की, जिससे शहर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने तुरंत अतिरिक्त बल तैनात कर दिया और प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
प्रशासन की प्रतिक्रिया पुलिस और प्रशासन ने तुरंत एक्शन लेते हुए प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी कि वे कानून हाथ में न लें। अधिकारियों ने करणी सेना के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनकी मांगें सुनीं और शांति बनाए रखने की अपील ऐतिहासिक विरासत और बढ़ते विवाद राणा सांगा भारतीय इतिहास में एक वीर योद्धा के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। ऐसे में अगर उनकी छवि को लेकर किसी भी तरह का बदलाव या गलत व्याख्या की जाती है, तो यह राजपूत समाज के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन जाता है।

क्या होगा आगे?
यह विवाद अभी थमा नहीं है। करणी सेना ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। दूसरी ओर, प्रशासन इस मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश कर रहा है। अब देखना होगा कि इस ऐतिहासिक विवाद का हल किस तरह निकलेगा।

यह मामला केवल करणी सेना का विरोध नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि इतिहास की व्याख्या किस हद तक बदली जा सकती है? क्या ऐतिहासिक किरदारों को तोड़-मरोड़कर पेश करना सही है? और अगर ऐसा होता है, तो समाज का इस पर क्या रुख होना चाहिए? यह विवाद आने वाले समय में और बड़े स्तर पर चर्चाओं का विषय बन सकता है।