कहते हैं कि यदि किसी चीज को शिद्दत से चाहों तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है। आपने यह डायलॉग न जानें कितनी बार सुना होगा, लेकिन एशियाई खेलों में पैदल चाल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर यूपी के सोनभद्र के राम बाबू ने ये सच कर दिखाया है। कभी मनरेगा में मजदूरी करने वाले राम बाबू ने एशियन गेम्स में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रौशन किया है।
राम बाबू के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं था। वे एक मजदूर परिवार से आते हैं। उनका जीवन कई मुश्किल दौर से होकर गुजरा। घर पर पक्की छत नहीं, खाने के लिए दो रोटी के लिए भी कई संघर्ष करना पड़े ऐसी थी राम बाबू की जिंदगी। लेकिन, इन सब के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। राम बाबू ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान मनरेगा के तहत मजदूरी कर अपना मुश्किल समय काटा। इससे पहले उन्होंने वाराणसी में वेटर का भी काम किया। हालाकि उन्हें कभी भी नौकरी नापसंद थी। उन्हें लगता था कि वेटर बनने से अच्छा मिट्टी खोदना।
राम बाबू ने खेल फिल्मों से प्रेरित होकर दौड़ना शुरू किया। पहले वे मैराथन करते थे लेकिन, 2018 में घुटने पर चोट लगने के कारण उनका करियर थम गया। लेकिन, कुछ करने की चाह रखने वालों के लिए हर परेशानी छोटी हो जाती है। इस सोच के साथ उन्होंने बहुत जल्द ही रेस-वॉकिंग सीखना शुरू कर दिया। 2022 नेशनल गेम्स में राम बाबू ने नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
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