भारतीय सिनेमा के महानतम शोमैन राज कपूर का जादू आज भी उतना ही ताजा और प्रभावशाली है जितना उनके समय में था। उनके अमर योगदान को याद करते हुए, उनकी 100वीं जयंती पर एक भव्य उत्सव का आयोजन किया गया है। इसका शीर्षक है “राज कपूर 100 – सेलिब्रेटिंग द सेंटेनरी ऑफ द ग्रेटेस्ट शोमैन”।
आरके फिल्म्स, फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन, एनएफडीसी, एनएफएआई, और सिनेमा ने मिलकर इस तीन दिवसीय उत्सव की योजना बनाई है, जो 13 दिसंबर से 15 दिसंबर, 2024 तक चलेगा। इसमें राज कपूर की 10 कालातीत क्लासिक फिल्मों को देशभर के 40 शहरों के 135 सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाएगा। यह स्क्रीनिंग PVR-INOX और सिनेपोलिस जैसे प्रमुख मल्टीप्लेक्स में होगी, जहां दर्शक ₹100 की मामूली टिकट कीमत पर इन शानदार फिल्मों का आनंद ले सकते हैं।
राज कपूर का सिनेमाई योगदान
राज कपूर (1924-1988) भारतीय सिनेमा के ऐसे नायक हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों से सिर्फ मनोरंजन नहीं किया, बल्कि समाज के सपनों और संघर्षों को जीवंत किया।
- उनकी फिल्में आज़ादी के बाद के भारत की कहानी कहती हैं।
- गाँव और शहर के द्वंद्व, आम आदमी की भावनाएँ और उम्मीदें उनकी कहानियों का दिल थीं।
- “आवारा” (1951), “श्री 420” (1955), “संगम” (1964), और “मेरा नाम जोकर” (1970) जैसी फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं।
राज कपूर ने “चार्ली चैपलिन” से प्रेरित अपने विशेष किरदार ‘वग्रांट’ के माध्यम से न केवल भारत, बल्कि सोवियत संघ जैसे देशों में भी अपार लोकप्रियता अर्जित की।
सम्मान और उपलब्धियाँ
राज कपूर को पद्म भूषण (1971) और दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1988) जैसे सम्मानों से नवाज़ा गया। उनकी फिल्में कान्स फिल्म फेस्टिवल और कार्लोवी वैरी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराही गईं।
उत्सव में दिखाए जाने वाली प्रमुख फिल्में
- आग (1948)
- बरसात (1949)
- आवारा (1951)
- श्री 420 (1955)
- जागते रहो (1956)
- जिस देश में गंगा बहती है (1960)
- संगम (1964)
- मेरा नाम जोकर (1970)
- बॉबी (1973)
- राम तेरी गंगा मैली (1985)
परिवार की ओर से श्रद्धांजलि
राज कपूर के बेटे रणधीर कपूर ने कहा, “राज कपूर केवल एक फिल्म निर्माता नहीं थे, बल्कि एक स्वप्नदृष्टा थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। यह उत्सव उनके प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।”
उनके पोते रणबीर कपूर ने कहा, “हमारी पीढ़ी उनकी विरासत पर खड़ी है। उनकी फिल्में समय से परे हैं और आज भी आम आदमी को प्रेरित करती हैं। यह उत्सव उसी जादू को बड़े पर्दे पर फिर से जीवंत करने का एक तरीका है।”
तो आइए, 13 से 15 दिसंबर, 2024 के बीच इस उत्सव का हिस्सा बनें। राज कपूर की फिल्मों के जरिए उनकी कला और विरासत को महसूस करें और भारतीय सिनेमा के इस शोमैन को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
राज कपूर का यह अमर जादू बार-बार हमें यह यकीन दिलाता है—शो मस्ट गो ऑन।
More Stories
वडोदरा के समा तालाब के पास क्यों हुआ फ्लाईओवर की डिजाइन में परिवर्तन? लागत दुगनी होने से किसका फायदा!
रविचंद्रन अश्विन ने क्रिकेट से लिया संन्यास, भारत के लिए बने दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज
संसद में अंबेडकर को लेकर हंगामा, जानें पूरा मामला