CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 22   11:09:31

राहुल गांधी के बयान से मचा बवाल, दिल्ली में सिख समुदाय का भाजपा के साथ विरोध प्रदर्शन

दिल्ली भाजपा के सिख प्रकोष्ठ के नेताओं ने बुधवार को कांग्रेस नेता और विपक्ष के प्रमुख राहुल गांधी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध अमेरिका में दिए गए राहुल गांधी के सिख समुदाय पर बयान के बाद हुआ, जिसने भारत में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी।

विरोधी सिख नेता और भाजपा कार्यकर्ता 10 जनपथ स्थित राहुल गांधी के आवास के पास इकट्ठा हुए, नारेबाजी करते हुए और तख्तियां उठाए हुए | वे विग्यान भवन से राहुल के घर तक मार्च करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने बीच में ही रोककर उन्हें आगे बढ़ने से मना कर दिया दिया।

प्रदर्शन में कई सिख नेता, महिलाएं और भाजपा सदस्य शामिल हुए। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया।

भाजपा नेता आरपी सिंह, जिन्हें  हिरासत में लिया गया था, उन्होंने राहुल गांधी से माफी की मांग करते हुए कहा, “राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने विदेशी धरती पर भारत को बदनाम किया और यह बयान दिया कि सिखों को यहां पगड़ी पहनने या गुरुद्वारा जाने की इजाजत नहीं मिल रही है।”

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राहुल गांधी ने सिख समुदाय का ‘अपमान’ किया है और कांग्रेस पार्टी को 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिम्मेदार ठहराया।

हाल ही में वाशिंगटन डीसी में भारतीय अमेरिकियों की एक सभा में राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर एक विभाजनकारी एजेंडा चलाने का आरोप लगाया था, जिसमें कुछ धर्मों, भाषाओं और समुदायों को दूसरों से ‘निम्न’ समझा जाता है।

विवादित बयान के दौरान, राहुल ने एक सिख व्यक्ति से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है, मेरे पगड़ी वाले भाई?” इसके बाद उन्होंने कहा, “लड़ाई इस बात की है कि क्या एक सिख को भारत में पगड़ी पहनने की अनुमति होगी, या कड़ा पहनने की। क्या वह एक सिख के रूप में गुरुद्वारा जा सकेगा या नहीं। और यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है।”

भाजपा ने राहुल के इस बयान की निंदा करते हुए इसे ‘खतरनाक नैरेटिव’ करार दिया और कहा कि विदेशी मंच पर ऐसे संवेदनशील मुद्दों को उठाना भारत की एकता को कमजोर करता है।

राहुल गांधी द्वारा विदेश में दिए गए इस बयान ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामलों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उछालने की राजनीति को उजागर किया है। यह सही है कि भारत में धर्म और समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, लेकिन ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर विदेशों में चर्चा करना देश की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। लोकतंत्र में असहमति का अधिकार सभी को है, लेकिन उसकी सही जगह देश के भीतर ही होनी चाहिए।