झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है, और इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी का चुनावी प्रचार झारखंड में हलचल मचाए हुए है। राहुल गांधी ने शुक्रवार को झारखंड के आदिवासी बहुल इलाके सिमडेगा में अपनी चुनावी सभाओं का आगाज किया, जहां उन्होंने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया, बल्कि देश की भविष्यवाणी करने वाली एक बड़ी बहस भी छेड़ी।
“हम संविधान के रक्षक, वे उसे खत्म करना चाहते हैं” – राहुल गांधी ने इस बयान के साथ अपने भाषण की शुरुआत की, जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने केंद्र सरकार और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों के हक की बात करते हैं, लेकिन मोदी जी इसे “देश तोड़ने वाली बात” करार देते हैं। इस बयान ने एक बार फिर उनके और प्रधानमंत्री के बीच राजनीतिक खाई को गहरा कर दिया है।
राहुल गांधी ने कहा, “आज देश में दो विचारधाराएं हैं: एक संविधान की रक्षा करने वाली, और दूसरी जो इसे खत्म करना चाहती है। हम संविधान की रक्षा कर रहे हैं, जबकि वे इसे नष्ट करना चाहते हैं।” राहुल गांधी ने आदिवासी समुदाय की स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह भी कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से इन वर्गों के अधिकारों की रक्षा करती आई है और आगे भी करेगी।
साथ ही, राहुल गांधी ने अंबानी और अडाणी जैसे उद्योगपतियों का नाम लेकर, सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल बड़े उद्योगपतियों के पक्ष में काम कर रही है, जबकि आम जनता, विशेष रूप से आदिवासी और पिछड़े वर्ग, उपेक्षित रह रहे हैं। उनका यह बयान न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश में एक बड़े विवाद को जन्म दे सकता है, खासकर उन आरोपों को लेकर जो अक्सर विपक्षी दल मोदी सरकार पर लगाते हैं।
सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी का ये हमला उनके लिए राजनीतिक लाभ लेकर आएगा, या यह और बड़ा विवाद खड़ा कर देगा? झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में इस तरह की बयानबाजी निश्चित रूप से उनका वोटबैंक मजबूत कर सकती है, लेकिन क्या यह तर्क प्रधानमंत्री मोदी के समर्थकों को नाराज नहीं करेगा?
राहुल गांधी ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए लोहरदगा में भी जनसभा को संबोधित किया। यहां उन्होंने फिर से संविधान की रक्षा और आदिवासियों के अधिकारों की बात की, और यह संदेश दिया कि उनकी पार्टी हमेशा इन मुद्दों को प्राथमिकता देती रहेगी।
राहुल गांधी का यह चुनाव प्रचार केवल झारखंड के विधानसभा चुनाव तक सीमित नहीं रह सकता। उनका यह बयान और देश में दो विचारधाराओं की बात भविष्य में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकती है। क्या राहुल गांधी का यह बयान न केवल झारखंड, बल्कि देश की राजनीति को भी एक नए मोड़ पर ले जाएगा?
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