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PM मोदी और दिलजीत दोसांझ की मुलाकात से उठे सवाल, क्या यह BJP के लिए है एक नया राजनीतिक कदम?

 नए साल की शुरुआत में 1 जनवरी को पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई। दोनों के बीच हुई इस मुलाकात में संगीत, संस्कृति और अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई। इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर दिलजीत द्वारा पीएम मोदी के साथ पोस्ट की गई रील को 52 लाख से ज्यादा लाइक्स और 3.75 लाख से अधिक शेयर मिले, जो यह दर्शाता है कि यह मुलाकात एक बड़ी सुर्खी बनी।

मुलाकात का संदेश और भावनात्मक जुड़ाव

दिलजीत ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, “यह 2025 की शानदार शुरुआत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक यादगार मुलाकात हुई, जिसमें हम संगीत और अन्य विषयों पर चर्चा कर रहे थे।” इस दौरान, जब दिलजीत ने पीएम मोदी के सामने गुरुनानक पर गाना गाया, तो मोदी ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनकी पीठ थपथपाई, जिससे यह मुलाकात और भी व्यक्तिगत और भावनात्मक बन गई। पीएम मोदी ने भी दिलजीत की तारीफ करते हुए कहा, “हिंदुस्तान के एक गांव का लड़का दुनिया में नाम रोशन करता है, यह अच्छा लगता है।”

दिलजीत क्यों हैं चर्चा में?

हाल के कुछ महीनों में दिलजीत दोसांझ कई विवादों में घिरे रहे। उनका शराब को बढ़ावा देने वाले गानों के कारण लुधियाना और अन्य शहरों में विरोध हुआ। इसके अलावा, इंदौर और चंडीगढ़ में आयोजित उनके कॉन्सर्ट पर भी काफी विवाद हुआ था। दिलजीत पर आरोप लगाए गए थे कि उनके गाने भारतीय संस्कृति और समाज के खिलाफ हैं, लेकिन उन्होंने इन आरोपों का मुकाबला करते हुए अपने विचार रखे। फिर भी, दिलजीत ने इन विवादों के बावजूद अपनी कड़ी मेहनत और कला से लाखों फैंस का दिल जीता।

PM मोदी और दिलजीत की मुलाकात का राजनीतिक संदर्भ

इस मुलाकात के राजनीतिक पहलू पर विचार किया जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि पीएम मोदी ने इस माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि वे अपने आलोचकों से भी संवाद करने के लिए तैयार हैं। दिलजीत, जो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं, बीजेपी के लिए एक नया खाता खोल सकते हैं, खासकर पंजाब, दिल्ली और हरियाणा जैसी जगहों पर, जहां पंजाबी और सिख समुदाय का बड़ा प्रभाव है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मुलाकात के माध्यम से बीजेपी पंजाबी समुदाय और किसानों के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर सकती है। दिलजीत का किसान आंदोलन के दौरान किसानों का समर्थन करना, और अब पीएम मोदी से मिलना, बीजेपी के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है। वहीं, कुछ किसान नेताओं ने इस मुलाकात पर नाराजगी भी जताई है, उनका कहना है कि दिलजीत को किसानों का समर्थन करने के बजाय पीएम मोदी से मिलकर राजनीति नहीं करनी चाहिए थी।

क्या बीजेपी को मिलेगा इसका फायदा?

दिलजीत दोसांझ की मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी से, हालांकि सिम्बॉलिक प्रतीत होती है, लेकिन यह बीजेपी के लिए युवाओं, सिखों और पंजाबी समुदाय के बीच अपनी छवि को सुधारने का एक अवसर हो सकती है। दिल्ली और पंजाब में जहां सिखों की बड़ी आबादी है, दिलजीत का प्रभाव काफी गहरा है। दिल्ली में जहां करीब 19% पंजाबी वोटर हैं, वहीं पंजाब में 58% सिख आबादी का असर है। इस मुलाकात से बीजेपी को इन दोनों राज्यों में अपने समर्थन को बढ़ाने का अवसर मिल सकता है, खासकर अगर यह मुलाकात राजनीतिक रूप से सही समय पर की गई हो।

मुलाकात का भविष्य में असर

हालांकि यह मुलाकात सीधे तौर पर बीजेपी के पक्ष में चुनावी लाभ का कारण नहीं बन सकती, फिर भी यह बीजेपी के लिए सिख समुदाय के बीच एक सॉफ्ट इमेज बनाने का प्रयास हो सकता है। जहां तक दिलजीत का सवाल है, वह लगातार अपनी आवाज़ और कला के जरिए युवाओं के दिलों में जगह बना रहे हैं। उनके पीएम मोदी से मिलने का मतलब यह नहीं कि वह बीजेपी का समर्थन करेंगे, लेकिन इस मुलाकात ने राजनीति के गलियारे में एक नया मोड़ जरूर पैदा किया है।

दिलजीत दोसांझ और पीएम मोदी की मुलाकात ने बहुत सारे सवालों को जन्म दिया है। क्या यह मुलाकात बीजेपी के लिए एक नया राजनीतिक हथियार बनेगी, या फिर यह एक साधारण कला और संस्कृति के प्रति सम्मान की मुलाकात है, यह समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि इस मुलाकात ने दोनों के फैंस और राजनीति की दुनिया में चर्चा का एक नया विषय पेश किया है।