वडोदरा में आई बाढ़ के बाद, जब पानी पूरी तरह से उतर गया, तो शहर के प्रभावित इलाकों में राशन किट बांटने पहुंचे बीजेपी के जनप्रतिनिधियों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। सरकार और नगर निगम की ओर से बाढ़ के समय सही मदद न मिलने के कारण, अब जब नेता सहायता देने पहुंचे, तो लोगों ने उन्हें खुलेआम फटकारा। कई जगहों पर लोगों ने दी जा रही सहायता को ठुकरा दिया।
वाघोड़िया रोड और हरिपुरा जैसे क्षेत्रों में लोगों ने नेताओं से सहायता लेने से मना कर दिया। वाघोड़िया रोड पर जब राज्य शिक्षा मंत्री कुबेर डिंडोर राशन किट बांटने पहुंचे, तो एक बुजुर्ग ने उनसे साफ तौर पर कहा, “यहां से चले जाइए।”
जनता का गुस्सा इस बात पर था कि जब उन्हें बाढ़ के दौरान सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब कोई जनप्रतिनिधि मदद के लिए सामने नहीं आया। अब जब पानी उतर चुका है और हालात कुछ सामान्य हुए हैं, तो सहायता लेकर आना लोगों को केवल एक दिखावा महसूस हुआ। विधायक ने दावा किया कि युवाओं के बहकावे में आकर लोगों ने यह कदम उठाया।
जब संकट की घड़ी में मदद की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब नेताओं की अनुपस्थिति जनता के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। वडोदरा में आई बाढ़ के बाद, जब पानी में फंसे लोग मदद के लिए चीख रहे थे, तब कोई जनप्रतिनिधि नजर नहीं आया। अब जब पानी उतर चुका है और जमीनी हकीकत साफ हो चुकी है, तब राहत सामग्री लेकर नेताओं का आना लोगों को सिर्फ एक राजनीतिक खेल प्रतीत हो रहा है।
यह गुस्सा सिर्फ राहत सामग्री ठुकराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरा संदेश है कि जनता अब दिखावे की राजनीति से तंग आ चुकी है। जब उनकी जान पर बन आई थी, तब अगर कोई उनके साथ खड़ा होता, तो आज ये हालात नहीं होते।
वडोदरा की जनता का यह कदम एक साफ संकेत है कि संकट के समय में किए गए कर्म ही असली पहचान बनते हैं, न कि बाद में किए गए दिखावे। यह समय है जब नेताओं को समझना होगा कि असली राहत सिर्फ सामग्री बांटने से नहीं, बल्कि उस समय साथ खड़े होने से मिलती है, जब जनता को उसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
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