कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने संसद में एक बैग के साथ प्रवेश किया, जिस पर ‘फिलिस्तीन’ लिखा था। यह बैग उन्होंने सोमवार (16 दिसंबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद द्वारा साझा किया। इस घटना ने विवाद को जन्म दे दिया, और भाजपा ने इसे मुस्लिम तुष्टिकरण का नाम दिया।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने प्रियंका गांधी के इस कदम को फिलिस्तीन के प्रति उनकी सहानुभूति का प्रतीक बताया। एक यूजर ने कहा कि प्रियंका गांधी फिलिस्तीन के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए इस बैग का इस्तेमाल कर रही हैं। हालांकि, कुछ अन्य यूजर्स ने इस पर सवाल उठाया और कहा कि ‘विजय दिवस’ जैसे दिन पर, जब भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को हराया था, प्रियंका गांधी को ऐसी वस्तु का चयन करना चाहिए था, जो भारतीय विजय का प्रतीक होती।
प्रियंका गांधी, जो इंदिरा गांधी की पोती हैं, फिलिस्तीनियों के समर्थन में खुलकर अपनी आवाज उठाती रही हैं। हाल ही में, उन्होंने गाजा में इजराइल की कार्रवाई की निंदा की थी और इजराइल सरकार को ‘नरसंहार’ का आरोप लगाया था। उनका यह बयान उस समय आया था जब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी कांग्रेस में गाजा में हो रही इजराइली कार्रवाई का समर्थन किया था। प्रियंका गांधी ने उस समय कहा था कि दुनिया की हर सरकार और सही सोच रखने वाले हर व्यक्ति को इस नरसंहार के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
प्रियंका गांधी का यह कदम भाजपा के लिए आपत्ति का कारण बना। भाजपा के नेताओं ने आरोप लगाया कि यह कदम मुस्लिम तुष्टिकरण का हिस्सा है, और उन्होंने कांग्रेस से यह सवाल किया कि क्या इस तरह के समर्थनों से देश की अखंडता और सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ता।
प्रियंका गांधी ने हाल ही में वायनाड से अपनी चुनावी जीत के बाद फिलिस्तीन दूतावास के प्रभारी अबेद एलराजेग अबू जाजर से भी मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें बधाई दी थी। प्रियंका के इस समर्थन के कारण फिलिस्तीनी प्रतीकों को लेकर राजनीति तेज हो गई है, और इसे लेकर विभिन्न दलों के बीच बयानबाजी जारी है।इससे पहले, प्रियंका गांधी ने इजराइली प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए गाजा में हो रहे ‘नरसंहार’ की निंदा की थी। उनके बयान ने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भारत की स्थिति को एक बार फिर से सार्वजनिक किया था।प्रियंका गांधी के बैग के साथ संसद में पहुंचने को लेकर चर्चा अब और तेज हो गई है, और राजनीतिक हलकों में इसे लेकर विवाद बढ़ गया है।
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