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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्र के नाम संबोधन, शिक्षा नीति, जलवायु परिवर्तन और अंतरिक्ष पर कई अहम बातें

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित कर रही हैं। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत में देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, ‘मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।’ इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सभी देशवासी 78वें स्वतन्त्रता दिवस का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लहराते हुए तिरंगे को देखना, चाहे वह लाल किले पर हो, राज्यों की राजधानियों में हो या हमारे आस-पास हो, हमारे हृदय को उत्साह से भर देता है।’

‘भावी पीढ़ियां राष्ट्र को सम्पूर्ण गौरव पुनः प्राप्त करते हुए देखेंगी’

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, ‘जिस तरह हम अपने परिवार के साथ विभिन्न त्योहार मनाते हैं, उसी तरह हम  अपने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को भी अपने उस परिवार के साथ मनाते हैं जिसके सदस्य हमारे सभी देशवासी हैं। हम उस परंपरा का हिस्सा हैं जो स्वाधीनता सेनानियों के सपनों और उन भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं को एक कड़ी में पिरोती है जो आने वाले वर्षों में हमारे राष्ट्र को अपना सम्पूर्ण गौरव पुनः प्राप्त करते हुए देखेंगी।’

‘आज विभाजन की भयावहता को याद करने का दिन है’

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा, ‘हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में  मनाना शुरू किया है। अगले वर्ष उनकी 150वीं जयंती का उत्सव राष्ट्रीय  पुनर्जागरण में उनके योगदान को और अधिक गहराई से सम्मान देने का अवसर  होगा। आज, 14 अगस्त को, हमारा देश विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहा है। यह विभाजन की भयावहता को याद करने का दिन है। जब हमारे महान राष्ट्र का विभाजन हुआ, तब लाखों लोगों को मजबूरन पलायन करना पड़ा। लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। स्वतंत्रता दिवस मनाने से एक दिन पहले, हम उस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को याद करते हैं और उन परिवारों के साथ एक-जुट होकर खड़े होते हैं जो छिन्न-भिन्न कर दिए गए थे।’