सुप्रीम कोर्ट में 26 हफ्ते की प्रेग्नेंसी को मेडिकली अबॉर्ट करने के मामले में शुक्रवार को लगातार 5वें दिन सुनवाई की गई। दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने एम्स के डॉक्टर्स का बोर्ड महिला की मानसिक और शारीरिक जांच करके उसकी मनोविकृत्ति का पता लगाने के निर्देश दिए।
सीजेआई ने ये भी कहा कि याचिकाकरर्ता महिला को दोपहर 2 बजे बोर्ड के समक्ष पेश होना होगा। इसके बाद बोर्ड रिपोर्ट बनाए कि महिला को दी जा रही डिप्रेशन की दवाओं से भ्रूण को कैसे बचाया जा सकता है। एम्स बोर्ड को यह रिपोर्ट 16 अक्टूबर को सीजेआई की बेंच में देनी पड़ेगी। उसी दिन इस मामले की अगली सुनवाई 10.30 बजे होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने एम्स से विभिन्न पहलुओं पर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। इसमें ये बातें शामिल हैं कि क्या भ्रूण किसी महत्वपूर्ण असामान्यता से पीड़ित है। सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता है कि क्या ऐसा कोई सबूत है जो यह बताता हो कि उसकी मानसिक बीमारी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाओं से पूर्ण अवधि की गर्भावस्था को जारी रखना खतरे से खाली नहीं है।
एससी ने कहा कि वह महिला की मानसिक और शारीरिक स्थिति का अपना मूल्यांकन करे और ये पता लगाए कि क्या महिला प्रसवोत्तर मनोविकृति से पीड़ित है। क्या भ्रूण की सुरक्षा के लिए कोई वैकल्पिक दवा उपलब्ध है।
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