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Tuesday, March 18   9:38:40

औरंगजेब की कब्र पर सियासत की आग ; नागपुर में भड़की नफरत की चिंगारी

महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसक झड़पों में तब्दील हो गया। सोमवार शाम को विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा प्रतीकात्मक रूप से औरंगजेब की कब्र जलाने के विरोध में दो समुदायों के बीच टकराव हुआ।

कैसे भड़की हिंसा?

सोमवार शाम 7:30 बजे महाल इलाके में पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। उपद्रवियों ने घरों और वाहनों को निशाना बनाया। पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस हिंसा में डीसीपी निकेतन कदम पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया, जिससे वे घायल हो गए।

पुलिस ने देर रात तक हालात काबू में करने का प्रयास किया। हालात की गंभीरता को देखते हुए शहर के 11 इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया। मुंबई और अन्य संवेदनशील इलाकों में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

राजनीतिक बयानबाज़ी और भड़काऊ टिप्पणियां

इस पूरे विवाद की जड़ समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी का बयान बताया जा रहा है, जिसमें उन्होंने औरंगजेब को क्रूर शासक मानने से इनकार किया था। उनके इस बयान ने विवाद को जन्म दिया, जिसके बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से पूरे बजट सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने अबू आजमी की कड़ी निंदा की और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की।

कब्र तोड़ने की मांग और इतिहास का अपमान

भाजपा सांसद उदयनराजे भोंसले ने औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करने की मांग करते हुए कहा कि एक लुटेरे की कब्र को संरक्षित रखने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने इस मांग का विरोध करते हुए इसे मराठाओं के शौर्य का प्रतीक बताया।

सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खतरनाक खेल

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक ऐतिहासिक विवादों को भड़का कर सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा दिया जाएगा? भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में कब्रें और स्मारक ऐतिहासिक धरोहर होते हैं, जिनका सम्मान करना ही हमारी सभ्यता की पहचान है।

कब्रें गिराना तालिबानी सोच को दर्शाता है, न कि भारतीय संस्कृति को। भारत की संस्कृति सिखाती है कि हम इतिहास से सीखें, न कि कब्रों को मिटाकर उसकी गूंज को खत्म करने की कोशिश करें। किसी भी मतभेद का हल संवाद और संवैधानिक मार्गों से ही निकल सकता है।

इस तरह की हिंसा समाज में विभाजन को और गहरा करती है। राजनीति के नाम पर समुदायों को लड़ाना और सांप्रदायिक नफरत को हवा देना देश की एकता के लिए घातक है। सरकार को चाहिए कि वह कठोर कार्रवाई करे और दोषियों को सजा दे। साथ ही, समाज को भी शांति और सौहार्द बनाए रखने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

“इतिहास का सम्मान करें, न कि उसे मिटाएं”