महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज, 26 नवंबर 2024 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर शिंदे ने अपना इस्तीफा सौंपा, और इस दौरान उनके साथ डिप्टी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी मौजूद थे। विधानसभा का कार्यकाल आज ही समाप्त हो रहा है, और नए मुख्यमंत्री की शपथ की तारीख फिलहाल तय नहीं हुई है। इस दौरान, एकनाथ शिंदे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे।
शिंदे के इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़
एकनाथ शिंदे ने 28 जून 2022 से मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था, लेकिन अब उनका इस्तीफा राजनीतिक हलकों में नई उम्मीदें और अटकलें जगा रहा है। इस्तीफे के बाद भाजपा ने मुंबई में एक बैठक बुलाई है, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को अपना नेता चुने जाने की संभावना है। इस बैठक में शिंदे, फडणवीस और अजित पवार एक प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं, जिसमें महाराष्ट्र की आगामी सरकार के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की जा सकती हैं।
देवेंद्र फडणवीस का नाम लगभग तय, लेकिन सवाल ये है: क्या नई सरकार कुछ नया करेगी?
भा.ज.पा. के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान द्वारा देवेंद्र फडणवीस का नाम नए मुख्यमंत्री के रूप में लगभग फाइनल किया जा चुका है, और आज ही उनका आधिकारिक ऐलान होने की संभावना है। फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने पर, राज्य की सत्ता में पहले की तरह दो डिप्टी मुख्यमंत्री हो सकते हैं— अजित पवार और एक नया चेहरा शिवसेना की ओर से।
हालांकि, एक सवाल जो अभी भी अनुत्तरित है, वह यह है कि क्या महाराष्ट्र की नई सरकार अपने पिछले कार्यकाल से कुछ अलग करेगी? क्या इसे सचमुच कुछ नया दिशा देने का अवसर मिलेगा, या यह वही पुरानी राजनीति का जारी रहेगा? कुछ सूत्रों के मुताबिक, तीनों दलों—भा.ज.पा., एनसीपी और शिवसेना—के बीच सरकार के एजेंडे को तय करने के लिए एक कमेटी बनाई जा सकती है, जिसमें शिंदे को प्रमुख भूमिका दी जा सकती है। हालांकि शिवसेना के प्रवक्ता कृष्ण हेगड़े ने इस बात का खंडन किया है, जिससे यह साबित होता है कि इस सियासी समीकरण में अभी भी कुछ अनसुलझे पहलू हैं।
क्या यह बदलाव सही दिशा में है?
महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटनाक्रम निश्चित रूप से बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है। एकनाथ शिंदे का इस्तीफा और देवेंद्र फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आना, यह संकेत देता है कि भाजपा अब अपनी सत्ता को और मजबूत करने के लिए तैयार है। हालांकि, जनता की उम्मीदें इससे कहीं अधिक हैं। प्रदेश की राजनीति में स्थिरता, विकास, और आम आदमी की बेहतरी की उम्मीदें सबसे अहम हैं। देखना होगा कि क्या नए नेतृत्व के साथ महाराष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता आएगी और जनता को सही दिशा में नेतृत्व मिलेगा, या फिर यह महज एक और सत्ता की अदला-बदली साबित होगी।
महाराष्ट्र के नेताओं ने अपनी प्राथमिकताओं में जनता के हितों को सबसे ऊपर रखा, तो यह बदलाव साकारात्मक साबित हो सकता है। लेकिन अगर यह सियासी फेरबदल सिर्फ सत्ता की लालच में हुआ, तो इससे राज्य की राजनीति में और अस्थिरता ही पैदा हो सकती है।
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