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महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी रस्साकशी: एकनाथ शिंदे ने जताई अपनी दावेदारी, भाजपा के निर्णय का इंतजार

महाराष्ट्र में सत्ता का समीकरण इस समय सबसे गर्म चर्चा का विषय बना हुआ है। विधानसभा चुनाव परिणाम 23 नवंबर को घोषित हुए, जिसमें भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट की महायुति ने 288 में से 230 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। बावजूद इसके, मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला अब तक अधर में है।

जनता चाहती है मुझे CM देखना: शिंदे

महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खुद को मुख्यमंत्री बनाए रखने की जोरदार वकालत की है। रविवार को इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं आम जनता का मुख्यमंत्री हूं। लोग मानते हैं कि मुझे ही मुख्यमंत्री रहना चाहिए।” हालांकि, शिंदे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के निर्णय का समर्थन करने की भी बात कही।

शिंदे के इस बयान के बाद भाजपा खेमे में खलबली मच गई है। भाजपा विधायक दल की बैठक दो बार टल चुकी है। बैठक के दौरान देवेंद्र फडणवीस का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए तय कर दिया गया था, लेकिन शिंदे गुट और शिवसेना के बीच मंत्रालयों को लेकर मतभेद अड़चन बने हुए हैं।

गृह और वित्त मंत्रालय पर अटका पेच

शिंदे गुट गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहता है, जबकि भाजपा इसे छोड़ने को तैयार नहीं। इस दौरान शिंदे को केंद्र में मंत्री पद देने की पेशकश भी हुई है। शिवसेना ने साफ कर दिया है कि डिप्टी सीएम का पद स्वीकारने के लिए उन्हें गृह मंत्रालय चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा गृह मंत्रालय जैसे अहम विभाग को हाथ से जाने नहीं देगी। वहीं एनसीपी को वित्त मंत्रालय दिए जाने की संभावना है। भाजपा उच्च शिक्षा, ऊर्जा, और ग्रामीण विकास जैसे विभाग अपने पास रखना चाहती है।

शपथ समारोह 5 दिसंबर को: फडणवीस पर दांव पक्का?

सूत्रों के अनुसार, नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में होगा, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी शामिल होंगे। हालांकि, शिंदे और भाजपा के बीच मतभेद सरकार गठन में देरी का मुख्य कारण बने हुए हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री का नाम तय हो गया है, और बस हाईकमान की मंजूरी का इंतजार है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: अराजकता का आरोप

शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने सरकार गठन में हो रही देरी को महाराष्ट्र का अपमान बताया है और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। वहीं, एनसीपी ने कहा कि सभी विभागों के बंटवारे का फैसला महायुति की बैठक में होगा।

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने हालात के लिए सुप्रीम कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह सरकार संविधान के खिलाफ है।

संपादकीय दृष्टिकोण: क्या भाजपा शिंदे को मनाएगी?

महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गठबंधन की चुनौतीपूर्ण जटिलताओं का उदाहरण पेश कर रही है। भाजपा के लिए फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन शिंदे की महत्वाकांक्षाओं को नजरअंदाज करना जोखिम भरा हो सकता है। शिंदे को केंद्र में स्थान देकर या उनके गुट को अहम मंत्रालय देकर भाजपा संतुलन बना सकती है।

यह सियासी उलझन न केवल महाराष्ट्र की सत्ता का समीकरण तय करेगी, बल्कि भाजपा की गठबंधन प्रबंधन क्षमता का भी इम्तिहान होगी।

सियासत के सवाल

क्या भाजपा शिंदे को मनाकर सत्ता में संतुलन ला पाएगी, या यह विवाद महाराष्ट्र में एक और राजनीतिक संकट को जन्म देगा?जनता ने भारी बहुमत से महायुति को सत्ता दी है; अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्ता का यह गणित किसके पक्ष में जाएगा।