दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से ठीक एक दिन पहले राजधानी का सियासी तापमान अपने चरम पर पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीखी बयानबाजी के साथ-साथ कानूनी शिकंजा भी कसता जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री आतिशी और भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी के समर्थक मनीष बिधूड़ी पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। इस कार्रवाई को लेकर दोनों दलों में जुबानी जंग तेज हो गई है।
AAP की मुख्यमंत्री उम्मीदवार आतिशी ने भाजपा प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी के समर्थकों पर आचार संहिता के उल्लंघन और गुंडागर्दी के आरोप लगाए थे। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर भी पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जवाब में दिल्ली पुलिस ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया कि 3-4 फरवरी की रात को कालकाजी क्षेत्र में AAP प्रत्याशी आतिशी अपने समर्थकों और वाहनों के साथ मौजूद थीं, जिसके चलते MCC उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया।
आतिशी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि BJP प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी के परिवार के लोग खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। वहीं, रमेश बिधूड़ी ने इस विवाद को AAP की “हार की हताशा” करार दिया।
केजरीवाल का हमला: चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप
AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने चुनाव आयोग और दिल्ली पुलिस पर BJP के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि “गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाने पर AAP नेताओं पर केस दर्ज किया जा रहा है।” उन्होंने EVM में हेरफेर की आशंका जताते हुए जनता से ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की।
केजरीवाल ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी को 55 सीटें मिलेंगी, लेकिन अगर महिलाएं बढ़-चढ़कर मतदान करें, तो यह आंकड़ा 60 पार भी कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने चुनावों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष वेबसाइट तैयार की है, जहां हर पोलिंग बूथ की जानकारी अपलोड की जाएगी।
चुनाव से पहले भारी जब्ती: क्या लोकतंत्र पर काले धन का साया?
चुनाव आयोग ने जानकारी दी कि इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले 220 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है। इनमें 88 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थ, 81 करोड़ रुपये कीमती धातुएं (सोना-चांदी आदि) और 40 करोड़ रुपये नकद शामिल हैं। यह आंकड़ा 2020 के चुनावों से लगभग चार गुना अधिक है।
चुनाव आयोग ने जनता को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों का भरोसा दिलाया, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि इतनी भारी मात्रा में काले धन और नशीले पदार्थों की जब्ती बताती है कि चुनावी प्रक्रिया में अब भी धनबल और बाहुबल का प्रभाव कायम है।
दिल्ली पुलिस की सख्त निगरानी, क्या मतदान निष्पक्ष होगा?
मतदान के दिन किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 35,626 पुलिसकर्मियों और 6,525 ट्रेनी जवानों को तैनात किया गया है। इसके अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों में फ्लैग मार्च भी किया गया ताकि मतदाताओं को सुरक्षित माहौल मिल सके।
लोकतंत्र को मुद्दों पर आधारित चुनाव चाहिए, न कि विवादों पर
दिल्ली विधानसभा चुनाव एक बार फिर मुद्दों से भटककर आरोप-प्रत्यारोप, कानूनी लड़ाई और सोशल मीडिया की जंग में उलझ गया है। आम जनता के लिए यह चुनाव बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सुरक्षा जैसे बुनियादी मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए, लेकिन नेताओं की बयानबाजी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठते सवालों ने इस प्रक्रिया को संदेह के घेरे में डाल दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या मतदाता इन आरोप-प्रत्यारोप के जाल से निकलकर सही उम्मीदवार का चयन कर पाएंगे? क्या चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से निष्पक्ष चुनाव करा पाएगा? और सबसे महत्वपूर्ण बात, क्या दिल्ली की जनता को वह सरकार मिलेगी, जो उनके असल मुद्दों को हल कर सके?
दिल्ली का भविष्य अब मतदाताओं के हाथ में है। 5 फरवरी को देखना होगा कि जनता सियासी बवाल से प्रभावित होती है या अपने विवेक से सही निर्णय लेती है।
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