गुजरात के सूरत शहर में बुधवार को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को चौंका दिया। कापोद्रा इलाके के मिलेनियम कॉम्प्लेक्स स्थित ‘अनभ जेम्स’ नामक ज्वैलरी कंपनी में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब कंपनी में काम करने वाले रत्न कलाकारों की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। देखते ही देखते 120 कर्मचारी बीमार पड़ गए और उन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
डॉक्टर्स के अनुसार, जहरीले रसायन का असर हार्ट और नर्वस सिस्टम पर पड़ सकता है, जिससे मरीजों को बेहोशी, घबराहट और उल्टी जैसे लक्षण दिखाई दिए। किरण अस्पताल में भर्ती दो कर्मचारियों – 30 वर्षीय रवि किरण प्रजापति और 23 वर्षीय जयदीप बारिया – की हालत गंभीर बताई जा रही है।
बदबू ने खोली साजिश की परत:
घटना सुबह करीब 10 बजे की है। जब कर्मचारियों ने वाटर कूलर का पानी पीया, तो उसमें अजीब सी दुर्गंध महसूस हुई। जब कूलर की जांच की गई, तो अंदर सल्फास का एक पैकेट मिला। शुरुआती जांच में सामने आया कि सल्फास का पैक पूरी तरह से नहीं खोला गया था, जिससे ज़हर पूरी तरह पानी में नहीं घुल सका। यही वजह रही कि समय रहते कर्मचारियों को अस्पताल पहुंचाने से बड़ा हादसा टल गया।
पुलिस जांच में उलझा मामला:
कापोद्रा पुलिस स्टेशन के इंचार्ज कुलदीप सिंह चावड़ा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पानी की सप्लाई और स्टोरेज सिस्टम की गहन जांच की जा रही है। हालांकि, वाटर कूलर के पास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं होने के कारण जांच में मुश्किलें आ रही हैं। पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है, लेकिन अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एनसी दर्ज कर ली गई है।
साजिश या दुर्भाग्य?
फिलहाल पुलिस इस एंगल से भी जांच कर रही है कि कहीं यह घटना जानबूझकर की गई साजिश तो नहीं थी। वाटर प्लांट जैसी संवेदनशील जगह पर इस तरह का ज़हर मिलाना यह दर्शाता है कि आरोपी ने सोच-समझकर यह कदम उठाया है।
डॉक्टर्स की चेतावनी
किरण अस्पताल के डॉ. मेहुल पांचाल के अनुसार, दोपहर 12:30 बजे तक 104 मरीजों को अस्पताल में लाया गया। सल्फास जैसे जहरीले पदार्थ शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर गहरा असर डालते हैं। फिलहाल सभी को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है और लगातार निगरानी की जा रही है।
यह घटना केवल एक “हादसा” नहीं, बल्कि एक बड़ी चूक और लापरवाही का नतीजा है। जिस तरह से सल्फास जैसी घातक वस्तु को फैक्ट्री में मिलाया गया, वह न केवल कर्मचारियों की जान के साथ खिलवाड़ है, बल्कि इंडस्ट्री की सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस मामले की जांच में तेजी और पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सख्त सज़ा मिल सके।
इसके साथ ही, यह घटना एक चेतावनी है – हर फैक्ट्री, हर ऑफिस और संस्थान को अपनी सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करनी चाहिए। अगर वक्त रहते किसी ने पानी की बदबू पर ध्यान नहीं दिया होता, तो शायद आज तस्वीर कुछ और ही होती।
आपकी क्या राय है? क्या यह एक सोची-समझी साजिश है या फिर सुरक्षा में चूक का नतीजा? नीचे कमेंट करें।
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