गुजरात में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत गड़बड़ी की बढ़ती घटनाओं को लेकर प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। हाल ही में अहमदाबाद के ख्याति मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल में गेररीतियों के खुलासे के बाद राज्य सरकार पूरी तरह से सतर्क हो गई है। राज्य सरकार ने SAFU (State Anti-Fraud Unit) के तहत विशेष टीम बनाई है, जो राज्य भर में चल रहे PMJAY के तहत गड़बड़ियों की जांच कर रही है।
सिर्फ 8 दिन के अंदर (2 दिसंबर से 8 दिसंबर तक) राज्य के विभिन्न जिलों से पांच अस्पतालों और दो डॉक्टरों के खिलाफ गड़बड़ी का मामला सामने आया है। पाटण, दाहोद, अहमदाबाद और अरवली जिले में स्थित कुल 5 अस्पतालों को सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें पाटण जिले की हीर और निष्का चिल्ड्रन अस्पताल, दाहोद जिले की सोनल अस्पताल, अहमदाबाद की सेंटारा ऑर्थोपेडिक अस्पताल और अरवली जिले की श्री जालाराम चिल्ड्रन अस्पताल शामिल हैं।
सभी अस्पतालों में विभिन्न गड़बड़ियां सामने आईं, जैसे कि प्री-ऑथ पर लाब रिपोर्ट में छेड़छाड़, गलत पैकेज का चुनाव, और दवाइयों की एक्सपायरी तिथियां। इन गड़बड़ियों के कारण प्रशासन ने इन अस्पतालों को सस्पेंड किया और गहरे जांच के आदेश दिए।
इसके अलावा, पाटण जिले की हीर चिल्ड्रन अस्पताल में प्री-ऑथ की जांच में 91 लाब रिपोर्ट में छेड़छाड़ का मामला सामने आया। वहीं, दाहोद जिले की सोनल अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और संक्रमण नियंत्रण में लापरवाही पाई गई। अहमदाबाद की सेंटारा अस्पताल में आवश्यक परमिशन और स्टाफ की कमी की वजह से अस्पताल को सस्पेंड कर दिया गया। अरवली की श्री जालाराम अस्पताल में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट का एक्सपायर होना पाया गया।
यह घटनाएं राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं की गंभीरता को चुनौती देती हैं। राज्य सरकार का यह कदम निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया कदम है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिरकार इन गड़बड़ियों को समय रहते क्यों नहीं पकड़ा गया? सरकारी अधिकारियों की लापरवाही और कमजोर निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं। इस सबके बावजूद प्रशासन ने एक्शन लिया है, जो भविष्य में इन गड़बड़ियों को रोकने में मदद करेगा।
PMJAY योजना के तहत अस्पतालों में होने वाली गड़बड़ी, जैसे गलत मेडिकल बिलिंग, फर्जी रिपोर्ट, और गलत उपचार, समाज की स्वास्थ्य व्यवस्था को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होने से आम जनता का भरोसा सरकार पर बढ़ेगा।
राज्य सरकार की यह मुहिम PMJAY योजना को पारदर्शी और सख्त बनाने की दिशा में अहम कदम है। हालांकि, यह भी जरूरी है कि प्रशासन इसे सिर्फ जांच तक सीमित न रखे, बल्कि अस्पतालों में बेहतर निगरानी व्यवस्था स्थापित करे ताकि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियां न हो।इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि शासन और प्रशासन को योजनाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए और सख्त कदम उठाने होंगे। हमें उम्मीद है कि आगामी समय में गुजरात सरकार इस तरह की योजनाओं के प्रति अपनी निगरानी और कड़े कदमों को और भी मजबूत बनाएगी।
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