प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 फरवरी को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम में स्नान किया। यह यात्रा आमतौर पर प्रधानमंत्री के लिए लागू किए जाने वाले VVIP प्रोटोकॉल से अलग थी। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों ने एक ऐसा स्मार्ट प्रोटोकॉल तैयार किया, जिससे न तो आम श्रद्धालुओं को कोई असुविधा हुई और न ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई ढील दी गई। इस प्रोटोकॉल के माध्यम से एक आदर्श व्यवस्था प्रस्तुत की गई, जिसमें सुरक्षा और सुविधा का बेहतरीन तालमेल देखा गया।
प्रधानमंत्री की यात्रा का स्मार्ट रूट प्लान
प्रधानमंत्री की कुंभ यात्रा को पांच चरणों में बांटा गया था:
- दिल्ली से बमरौली एयरपोर्ट तक: प्रधानमंत्री विशेष विमान से प्रयागराज पहुंचे।
- एयरपोर्ट से हेलिकॉप्टर द्वारा DPS स्कूल, अरैल तक: यहाँ पहले से बने हेलिपैड पर उनका हेलिकॉप्टर लैंड हुआ।
- DPS स्कूल से अरैल घाट तक: पीएम सड़क मार्ग से कार द्वारा घाट पहुंचे।
- अरैल घाट से त्रिवेणी संगम तक: यहाँ से विशेष स्टीमर के जरिए संगम तक पहुँचे।
- संगम में स्नान के बाद उसी रूट से वापसी: स्नान और पूजन के बाद वे वापस लौट गए।
स्मार्ट प्रोटोकॉल से आम जनता को राहत
प्रधानमंत्री की यात्रा और स्नान के दौरान आम श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए एक सुव्यवस्थित योजना बनाई गई।
- प्रधानमंत्री की पूरी यात्रा मेला क्षेत्र के दूसरी ओर से हुई, जिससे आम लोगों के लिए किसी तरह के प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं पड़ी।
- संगम स्नान के लिए पीएम को एक विशेष प्लेटफॉर्म पर ले जाया गया, जिससे घाटों पर स्नान कर रहे श्रद्धालुओं की दिनचर्या प्रभावित नहीं हुई।
- किसी भी प्रकार की भगदड़ या अव्यवस्था से बचने के लिए सुरक्षा बलों ने बहुत ही संतुलित व्यवस्था बनाई, जिससे यातायात भी सुचारू रूप से संचालित होता रहा।
महाकुंभ में सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाएँ
कुंभ मेला 4000 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसमें 41 घाट बनाए गए हैं, जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- श्रद्धालुओं की भारी संख्या: 5 फरवरी की सुबह 10 बजे तक लगभग 47 लाख से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके थे।
- सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था: निगरानी के लिए हेलिकॉप्टर और 2750 सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया गया।
- यातायात नियंत्रण: मेला क्षेत्र में वाहनों की एंट्री पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई थी और सभी VVIP पास रद्द कर दिए गए थे। श्रद्धालुओं को पार्किंग से शटल बसों द्वारा घाटों तक पहुँचाया गया।
पीएम मोदी की धार्मिक यात्राएँ और राजनीति का संबंध
प्रधानमंत्री मोदी की धार्मिक स्थलों की यात्राएँ चुनावी रणनीति के लिहाज से भी देखी जाती रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि वे अब तक 11 बार मतदान के दिन किसी न किसी धार्मिक स्थल पर जा चुके हैं, जिनमें से 8 में से 6 बार बीजेपी को सत्ता में आने का मौका मिला।
2019 के कुंभ मेले में भी मोदी ने संगम में स्नान किया था और दलित समाज के लोगों के पैर धोकर सामाजिक एकता का संदेश दिया था। इस बार भी जब दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए मतदान हो रहा था, तब उन्होंने कुंभ स्नान किया, जिसे राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
आस्था और प्रशासन का बेहतरीन समन्वय
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को न केवल उनकी धार्मिक आस्था बल्कि प्रशासनिक कुशलता के दृष्टिकोण से भी एक सफल आयोजन कहा जा सकता है। यह इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार एक VVIP यात्रा को इस तरह व्यवस्थित किया जा सकता है कि आम जनता को कोई असुविधा न हो।
इस यात्रा का सबसे बड़ा संदेश यही है कि आस्था और व्यवस्था एक साथ चल सकते हैं, बशर्ते प्रशासनिक कुशलता और पूर्व योजना के साथ इसे अंजाम दिया जाए। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल धार्मिक बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी एक मिसाल बन गई है।
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