आज भारत अपनी आजादी की 78वीं वर्षगांठ मना रहा है। जिसकी धूम आपको स्कूलों से लेकर दफ्तरों और बाजारों में भी दिखाई दे रही होगी। ये दिन हर भारतीय के लिए बेहद अहम होता है। 1947 में आजादी के बाद पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करके अपना पहला भाषण दिया था। जिसके बाद से हर साल देश के प्रधानमंत्री दिल्ली में स्थित लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं।
इस साल भी पीएम मोदी ने हर साल की भांति अपने तीसरे कार्यकाल का पहले स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया। हर साल उनके लुक के साथ-साथ उनका साफा लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है।। इस साल भी उनकी पगड़ी काफी खास थी।
2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने राजस्थानी पगड़ी ही पहनी थी।
लहरिया प्रिंट की कहानी राजस्थान की रेत से जुड़ी हुई है। राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से डायगोनल पैटर्न (लहर) बन जाते हैं।
लहरिया प्रिंट इन्हीं पैटर्न से प्रेरित माना जाता है। यह एक पारंपरिक कपड़ा टाई एंड डाई प्रिंट टेक्नीक है, जिसमें खूबसूरत रंगों का कॉम्बिनेशन होता है।
लहरिया डिजाइन बनाने के लिए सबसे पहले कपड़े को धागे से बांधा जाता है और फिर उस पर प्रिंट किया जाता है। लहरिया प्रिंट का फैशन 18वीं सदी से है। लहरिया प्रिंट राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से बनने वाली लहरों की प्रतीक है। यही वजह है कि लहरिया प्रिंट में कपड़े के ऊपर आड़ी-तिरड़ी लाइनें होती हैं, जो लहरों की तरह ही दिखती हैं। इस प्रिंट में जिन रंगों का इस्तेमाल होता है, वो भारत की भव्यता को दर्शाता है। शुभ कामों में लहरिया प्रिंट के कपड़े पहनना अच्छा माना है, क्योंकि लहरिया प्रिंट में जिन रंगों का का इस्तेमाल होता है, वो नई शुरूआत के लिए शुभ माने जाते हैं। इस पगड़ी को राजस्थान की शान भी कहा जाता है।
प्रधानमंत्री के 11 साल का अटायर :
2024: राजस्थानी लहरिया प्रिंट पगड़ी
2023: वी नेक जैकेट और राजस्थानी पगड़ी
2022: नेहरू जैकेट और तिरंगा पगड़ी
2021: केसरिया पगड़ी के साथ लाल बॉर्डर दुपट्टा
2018: केसरिया और लाल साफा
2017: लाल-पीली पगड़ी
2016: टाई-डाई पगड़ी
2015: क्रिस-क्रॉस राजस्थानी स्टाइल पगड़ी
2014: पारंपरिक राजस्थानी पगड़ी
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