CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 15   11:23:33

पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की उम्मीद: कच्चे तेल की घटती कीमतों से जेब पर पड़ेगा कम बोझ

देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें जल्द ही 2-3 रुपए प्रति लीटर तक घट सकती हैं। मार्च से अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 12% की गिरावट आई है, जिससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की कमाई में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अब कंपनियों के पास कीमतों में कटौती करने का मौका है।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से बढ़ी उम्मीद

रेटिंग एजेंसी ICRA की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इंपोर्ट किए जाने वाले क्रूड ऑयल की एवरेज कीमत सितंबर में घटकर 74 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है, जो मार्च में 83-84 डॉलर प्रति बैरल थी। इसी वजह से पेट्रोल और डीजल पर कंपनियों की कमाई भी काफी बढ़ गई है। ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गिरीश कुमार कदम के मुताबिक, कंपनियों की पेट्रोल पर कमाई 15 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ चुकी है। अगर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहीं तो पेट्रोल-डीजल के दाम 2-3 रुपए प्रति लीटर तक कम हो सकते हैं।

क्या सरकार देगी राहत?

हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की संभावना बनी हुई है, लेकिन सरकार इस फैसले को लेकर फिलहाल सतर्क है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भले ही क्रूड ऑयल की कीमतें घट रही हैं, लेकिन सरकार ने संभावित ग्लोबल रिसेशन और RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को देखते हुए अभी तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का फैसला टाल दिया है।

आंध्र प्रदेश में सबसे महंगा पेट्रोल, आगे क्या?

देश में फिलहाल सबसे महंगा पेट्रोल आंध्र प्रदेश में 108.46 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। इसके बाद केरल, मध्य प्रदेश और बिहार में पेट्रोल की कीमतें 105 से 107 रुपए प्रति लीटर तक हैं। वहीं, डीजल की कीमतें भी आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 96 रुपए प्रति लीटर हैं।

क्या है पेट्रोल-डीजल की कीमतों का गणित?

पेट्रोल-डीजल की कीमतें मुख्य रूप से चार कारकों पर निर्भर करती हैं: कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत, भारतीय रुपए की डॉलर के मुकाबले स्थिति, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाने वाले टैक्स, और देश में फ्यूल की मांग। भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल इंपोर्ट करता है, और इसकी कीमत डॉलर में चुकाई जाती है। जैसे ही डॉलर मजबूत होता है, और कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है, पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़ जाते हैं।

क्या कंपनियां ग्राहकों को राहत देंगी?

2010 से पहले पेट्रोल की कीमतें सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी ऑयल कंपनियों पर है। ये कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स और ट्रांसपोर्टेशन लागत को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत तय करती हैं। हालांकि, सरकार को भी इसमें अहम भूमिका निभानी होती है क्योंकि टैक्स और अन्य कारकों पर उसका सीधा नियंत्रण रहता है।

राहत की उम्मीद, लेकिन सरकार की नीति का भी असर

कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से ग्राहकों को राहत मिलनी चाहिए। हालांकि, सरकार की सतर्कता और वैश्विक परिस्थितियों के चलते इस कटौती में देरी हो सकती है। मेरी राय में, जब कंपनियां पर्याप्त मुनाफा कमा रही हैं, तो इसका लाभ सीधे तौर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचना चाहिए। सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने की जरूरत है ताकि देश में बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण किया जा सके और आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सके।निष्कर्षपेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की संभावना भले ही दिख रही हो, लेकिन इसके लिए हमें सरकार के अगले कदम का इंतजार करना होगा। कच्चे तेल की घटती कीमतें और कंपनियों के बढ़ते मुनाफे के बावजूद, यह देखना दिलचस्प होगा कि कब तक और कितना फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचता है।