एक ओर सत्ताधारी सरकार लगातार शहरों का विकास करती जा रही है। एक मंजिल से दूसरी मंजिल तक सफर आसान बनाने के लिए नियमित नए-नए पुलों का निर्माण किया जा रही है। वहीं दूसरी ओर गुजरात के छोटा उदेयपुर जिले के पाविजेतपुर तालुका के शिथोल गांव में कुछ लोग जुगाड़ कर पुल बनाकर अपना काम चला रहे हैं। यह पुल तेज बहाव में कब बह जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है।
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पाविजेतपुर तालुका के शीटोल गांव के युवाओं ने मोतीरसाली और शिथोल गांव के बीच नदी में जुगाड़ कर एक पुल तैयार कर अपना काम चला रहे हैं। दोनों गांव को जोड़ने वाले इस पुल के निर्माण से गांव वालों को अब 35 से 40 किमी का रास्ता कम हो गया है।
दरअसल भारी बारिश के चलते पाविजेतपुर के सिहोद में भारज नदी का पुल ढह गया था। इसकी वजह से 29 जुलाई से यहां की सड़क पूरी तरह बंद है। इसके कारण पाविजेतपुर तालुका के गांवों का दूसरे तालुका से सीधा संपर्क टूट गया था। दूसरे गांव जाने के लिए ग्रामीणों को 35 से 40 किलोमीटर का रास्ता रोज तय करना पड़ रहा था।
इतना ही नहीं छोटाउदेपुर विधायक राजेंद्रसिंह राठवा ने कलेक्टर से इस स्थान पर डायवर्सन बनाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन, अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे परेशान होकर सिथौल गांव के युवाओं ने मिलकर सिथौल और मोतीरसाली के बीच नदी पर 10 बड़े सीमेंट का पाइप लगाकर उसे रेत की बोरियां डाल कर जुगाडू पुल तैयार किया है।
इस जुगाड के पुल बन जाने से 35 से ज्यादा गांवों को मदद मिल रही है। सिथोले के युवाओं ने बताया कि यहां एक घंटे में 500 से ज्यादा महिलाएं आवाजाही कर रही हैं. उस हिसाब से यहां से रोजाना हजारों बाइकें सफर करेंगी। इसलिए बड़ी संख्या में बाइकर्स 35 किलोमीटर से अधिक के बजाय तीन किलोमीटर में तालुका स्थान तक पहुंच सकते हैं।
पाविजेतपुर तालुका के ग्रामीणों द्वारा कई दिनों से यहां पुल बनाने के लिए सरकारी दफ्तरों में नोटिस भेजा जा रहा था, लेकिन प्रशासन की ओर से इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी। इसकी वजह से ग्रामीणों ने यहां जुगाड़ी पुल बना दिया। यह सरकार को आईना दिखाने का काम कर रहा है।
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