Panda Parenting: बराक ओबामा और ओसो रजनीश ने अपने भाषण में एक बार कहा था कि बच्चों को जन्म देने से आप पेरेंट्स नहीं बन जाते, बल्कि आप उनकी पररिश कैसे करते हैं वो आपको पेरेंट्स बनाती है। आजकल के बच्चों की परवरिश करना माता-पिता के लिए एक चैलेंज हो गया है। आज की जनरेशन ऐसी है जो बार-बार हर चीज के लिए माता-पिता की अनुमति लेना जरूरी नहीं समझती। ऐसे में पेरेंट्स को हमेशा अपने बच्चों की चिंता होती रहती है। यदि आप भी एक पेरेंट्स हैं और आपको अपने बच्चे की परवरिश किस प्रकार करनी है समझ नहीं आ रहा तो ये लेख आपके लिए हैं। इसे पूरा जरूर पढ़ें –
आजकल बच्चों की परवरिश के कई तरीके ट्रेंड में हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को कड़े अनुशासन में रखते हैं, जबकि कुछ उन्हें दोस्त की तरह मानते हैं। हालही के दिनों में एक पेरेंटिंग स्टाइल ट्रेंड में है वो है पांडा पेरेंटिंग। इस पेरेंटिंग का मूल उद्देश्य एक ओर बच्चों को अनुशासन में रखकर उन्हें स्वतंत्रता देना है। इस प्रकार की पेरेंटिंग में बच्चों को अपनी राय और निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है, लेकिन माता-पिता हमेशा उनका साथ देने के लिए मौजूद रहते हैं। यह बच्चों को अपने समस्याओं का समाधान खुद करने का अवसर दिया जाता है।
पांडा पेरेंटिंग (Panda Parenting) के कई फायदें-
बिना नियंत्रण के पालन-पोषण
पांडा पेरेंटिंग में माता-पिता बच्चों पर अपने अधिकारों का दावा नहीं करते, बल्कि उन्हें ज़रूरत के समय समर्थन प्रदान करते हैं। वे बच्चों को स्वतंत्रता देते हैं कि वे खुलकर अपनी बात रख सकें। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उन्हें यह महसूस होता है कि उनके विचारों की अहमियत है।
ज़िम्मेदार बनाता है
इस पेरेंटिंग शैली में बच्चों को अपने फैसले लेने का मौका दिया जाता है, जिससे वे उन कठिनाइयों का सामना करते हैं जो उन्हें आकार देती हैं। स्वतंत्रता देते हुए, वे अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और अपने निर्णयों तथा कार्यों के लिए जिम्मेदार बनते हैं। पांडा पेरेंटिंग आत्मप्रेरणा को बढ़ावा देती है। इस तरह पाले गए बच्चे अपने लक्ष्य स्वयं तय करते हैं और उन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी उठाते हैं।
आत्मविश्वास में वृद्धि
पांडा पेरेंटिंग में माता-पिता अपने बच्चों से प्रेम करते हैं और चाहते हैं कि वे बढ़ें। वे बच्चों को अपनी राय और निर्णय लेने की स्वतंत्रता देते हैं और उनका समर्थन करते हैं। वे बच्चों को अपनी विचारों को व्यक्त करने का मौका देते हैं, जिससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है।
निर्भीक अभिव्यक्ति
पांडा पेरेंटिंग शैली में माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे खुश रहें और स्वतंत्र रूप से अपनी अभिव्यक्ति करें। वे बच्चों को डराते नहीं हैं, बल्कि उनकी मदद करते हैं। जब बच्चे जानते हैं कि उनके माता-पिता उनकी परवाह करते हैं, तो वे पूरी तरह से उन पर विश्वास करते हैं और झूठ बोलने की आवश्यकता महसूस नहीं करते। इस प्रकार, बच्चे निर्भीकता से अपनी बात कहते हैं।
तनाव में कमी
जब माता-पिता बच्चों को अपनी संपत्ति की तरह नहीं समझते और उन्हें जीने की स्वतंत्रता देते हैं, तो न तो माता-पिता पर कोई दबाव होता है और न ही बच्चों पर तनाव। इससे माता-पिता और बच्चों के बीच संबंध मजबूत होते हैं।
भावनाओं को संभालने में सक्षम
पांडा पेरेंटिंग में बच्चों को बहुत अधिक सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती। उन्हें अपनी परेशानियों का सामना करने का अवसर मिलता है। इससे बच्चे गुस्से, अवसाद जैसे भावनाओं को संभालना सीखते हैं और भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं।
इस प्रकार, पांडा पेरेंटिंग बच्चों को मानसिक, भावनात्मक, और सामाजिक रूप से मजबूत बनाने का एक अत्यधिक प्रभावी तरीका हो सकता है।
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